पाठ्यक्रम
का नाम - एम.ए. हिंदी पाठ्यक्रम
पाठ्यक्रम
कोड – MAHD
(
सेमेस्टर पद्धति एवं स्वचयनाधारित क्रेडिट प्रणाली (CBCS) के अनुरूप )
पाठ्यक्रम-परिचय :
यह पाठ्यक्रम उन विद्यार्थियों के लिए है जो स्वाध्याय केंद्रित दूर
शिक्षा के माध्यम से हिंदी भाषा और साहित्य का सम्यक् और गहन अध्ययन कर हिंदी
में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करना चाहते हैं । सेमेस्टर पद्धति एवं स्वचयनाधारित
क्रेडिट प्रणाली के अनुरूप निर्मित 4 सेमेस्टर में विभक्त यह द्विवर्षीय
पाठ्यक्रम कुल 100 क्रेडिट का है ।
यह पाठ्यक्रम हिंदी भाषा एवं साहित्य की परम्परागत पाठ्यचर्याओं के
साथ-साथ ‘प्रयोजनमूलक हिंदी’, ‘हिंदी
पत्रकारिता’, ‘हिंदी भाषा एवं भाषा-शिक्षण’ तथा ‘सृजनात्मक लेखन’ जैसी रोजगारोन्मुखी पाठ्यचर्याओं के अध्ययन का अवसर सुलभ कराता है । यह
पाठ्यक्रम इस दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है कि इसमें इक्कीसवीं सदी की अकादमिक
आवश्यकताओं, समकालीन बहसों के अनुरूप ‘तुलनात्मक भारतीय साहित्य’, ‘नव सामाजिक विमर्श’ एवं ‘हिंदी अनुप्रयोग:तकनीकी संसाधन एवं उपकरण’ जैसी अत्यन्त आवश्यक एवं प्रासंगिक पाठ्यचर्याओं के साथ ही नैतिक जीवन
मूल्यों की चेतना का विकास और उसके प्रसार के निहितार्थ ‘हिंदी नीतिकाव्य और मूल्य चेतना’ जैसी
समाजोपयोगी पाठ्यचर्या का समावेश इस पाठ्यक्रम की मुख्य विशेषता है ।
परियोजना कार्य के माध्यम से विद्यार्थियों को हिंदी के कालजयी
रचनाकारों के समग्र कृतित्व एवं हिंदी की समवेत संस्कृति की स्थापना में सहायक
विभिन्न प्रचार संस्थाओं/नाट्य-संस्थाओं, पत्र-पत्रिकाओं, साहित्यिक आन्दोलनों, पुस्तकालयों, साहित्यिक केन्द्रों तथा साहित्यिक कृतियों पर बनने वाले सिनेमा और
टेलीविजन धारावाहिकों, प्रकाशकों आदि के विशेष योगदान
का सघन अध्ययन करने हेतु प्रवृत्त करना इस पाठ्यक्रम का मूल उद्देश्य है ।
प्रथम सेमेस्टर
प्रथम पाठ्यचर्या (अनिवार्य)
पाठ्यचर्या कोड : MAHD - 01
पाठ्यचर्या का शीर्षक : प्रारम्भिक हिंदी काव्य
क्रेडिट
– 4
खण्ड-
1 : लोक,
सत्ता और प्रारम्भिक हिंदी साहित्य
इकाई – 1 : प्रारम्भिक
हिंदी साहित्य की काव्य –प्रवृत्तियाँ
इकाई – 2 : मुक्तक-काव्य-परम्परा में प्रवाहमान नीति, वीर
शृंगार तथा सुभाषितपरक दोहों का
अनुशीलन
इकाई – 3 : अपभ्रंश-प्रभावित एवं अपभ्रंश- प्रभाव से मुक्त हिंदी-रचनाएँ
खण्ड
- 2 : रासो-काव्य–परम्परा
इकाई -1 : ‘पृथ्वीराज रासो’ में तथ्य और कल्पना, प्रामाणिकता : ऐतिहासिक तथ्य,
तिथि, भाषा तथा
कवि सम्बन्धी मत
इकाई -2 : ‘पृथ्वीराज रासो’ की साहित्यिकता, काव्य-रूप, छन्द–योजना,
अलंकार-निरूपण,कथानक
रूढ़ियाँ
इकाई- 3: ‘पृथ्वीराज रासो’ का महाकाव्यत्व एवं काव्य-सौष्ठव
खण्ड-3
: विद्यापति का पदावली साहित्य
इकाई - 1 : ‘पदावली’ की राधा-कृष्ण-कथा और उनका स्वरूप
इकाई -2 : ‘पदावली’ का काव्य-सौष्ठव
इकाई 3 : विद्यापति का प्रेम-दर्शन
इकाई 4 : ‘पदावली’ की भाषा एवं अलंकार-विधान
इकाई 5 : विद्यापति की काव्य-भाषा
खण्ड-4
: अमीर ख़ुसरो का हिन्दवी
काव्य
इकाई -1 : ख़ुसरो की रचनाधर्मिता, प्रमुख रचनाएँ, पहेलियाँ, मुकरियाँ दो सुखने, गज़ल
शेर आदि
इकाई- 2 : ख़सरो
के काव्य की प्रकृति एवं विशेषताएँ
इकाई - 3 : हिन्दू-मुस्लिम साझी संस्कृति के आदिपुरुष के रूप में खुसरो
की प्रतिष्ठा,
खु़सरो की हिंदी
निष्ठा एवं हिंदी
प्रेम, खड़ी बोली (हिन्दवी) के प्रथम
एवं समर्थ कवि के रूप में ख़ुसरो की
पहचान
इकाई- 4 : अमीर खुसरो का हिंदी काव्य : प्रामाणिकता की समस्या
निर्धारित
पाठ्य कृतियाँ
:
1.
पृथ्वीराज रासो- चन्दवरादाई (पद्मावती सयम)
2.
विद्यापति पदावली (चयनित पद)
3.
अमीर ख़ुसरो का हिन्दवी काव्य (चयनित
रचनाएँ)
प्रथम सेमेस्टर
द्वितीय पाठ्यचर्या (अनिवार्य)
पाठ्यचर्या कोड : MAHD- 02
पाठ्यचर्या का शीर्षक : हिंदी उपन्यास एवं
कहानी
क्रेडिट - 4
खण्ड
- 1: उपन्यास और कहानी-साहित्य
इकाई – 1 : हिंदी उपन्यास की क्रमिक विकास-यात्रा और परिवर्तित स्वरूप :
प्रेमचंद-पूर्व हिंदी
उपन्यास, वर्गीकरण, सामाजिक, ऐतिहासिक, घटनात्मक
उपन्यास; प्रेमचंद-युगीन
हिंदी उपन्यास
प्रेमचंदोत्तर हिंदी उपन्यास : प्रकृतवादी, व्यक्तिवादी,
मनोविश्लेषणवादी, सामाजिक
यथार्थवादी, ऐतिहासिक, पौराणिक,
आंचलिक उपन्यास; आधुनिकता-बोध के उपन्यास, महिला उपन्यासकार
इकाई- 2 : हिंदी कहानी की क्रमिक विकास-यात्रा और परिवर्तित स्वरूप :
प्रारम्भिक कहानी,
प्रेमचंद-पूर्व
हिंदी कहानी;
प्रेमचंद-युग : हिंदी कहानी का नवोन्मेष, प्रेमचंदोत्तर-युग
में
हिंदी कहानी, नयी-कहानी
, विविध कहानी आन्दोलन : साठोत्तरी-कहानी/
समकालीन-कहानी / अ-कहानी,
सचेतन-कहानी, सहज-कहानी समान्तर-कहानी,
जनवादी-कहानी; समाकलीन
कथानकार, महिला कहानीकार
खण्ड
- 2 : गोदान
इकाई -1 : महाकाव्यात्मक उपन्यास की दृष्टि से ‘गोदान’
का मूल्यांकन, ‘गोदान’ का
कथा-
शिल्प, ‘गोदान’
शीर्षक की सार्थकता
इकाई- 2 : ‘गोदान’ की पात्र-सृष्टि : ग्रामीण-पात्र बनाम
नगरवासी-पात्र, पुरुष बनाम स्त्री-पात्र,
प्रमुख
पात्रों की चारित्रिक विशेषताएँ, प्रेमचंद की नारी-दृष्टि
इकाई -3 : ‘गोदान’ भारतीय कृषक की संघर्षमय जीवन-गाथा का जीवन्त
दस्तावेज़ बनाम मध्यमवर्ग
की समस्याओं
का चित्रण
खण्ड
-3 : बाणभट्ट की आत्मकथा
इकाई -1: ‘बाणभट्ट की आत्मकथा’
में इतिहास-बोध, सांस्कृतिक चेतना, इतिहास और कल्पना का
मणिकांचन योग
इकाई -2 : ‘बाणभट्ट की आत्मकथा’ की आधुनिकता, ‘बाणभट्ट की आत्मकथा’ का रचना –
कौशल
इकाई -3 : ‘बाणभट्ट की आत्मकथा’ के नारी-पात्र और आचार्य द्विेवेदी
की उदात्त मूल्य-
चेतना,निपुणिका की चरित-सृष्टि : रचनाकार की नारी
मुक्ति की आकांक्षा
इकाई -4 : ‘बाणभट्ट की आत्मकथा’ में निपुणिका और भट्टिनि के
चरित्रों के आधार पर प्रेम-दर्शन
खण्ड
– 4 : कहानी -1
इकाई -1 : उसने कहा था – चन्द्रधर
शर्मा ‘गुलेरी'
इकाई -2 : कफ़न – प्रेमचंद
इकाई -3 : पुरस्कार
– जयशंकर प्रसाद
इकाई -4 : पत्नी-जैनेन्द्रकुमार
इकाई - 5 : हीली-बोन्
की बत्तखें-अज्ञेय
इकाई- 6 : रसप्रिया-फणीश्वरनाथ ‘रेणु’
इकाई- 7 : परिन्दे–निर्मल
वर्मा
खण्ड
- 5 : कहानी -2
इकाई -1 : दोपहर का भोजन – अमरकान्त
इकारई- 2: टूटना –राजेन्द्र यादव
इकाई - 3: यही सच है – मन्नू भण्डारी
इकाई -4 : वापसी – उषा प्रियंवदा
इकाई- 5 : बादलों के घेरे – कृष्णा सोबती
इकाई- 6 : अमृतसर आ गया है ...- भीष्म साहनी
इकाई -7 : मलवे का मालिक- मोहन राकेश
निर्धारित
पाठ्य कृतियाँ :
01.
गोदान- प्रेमचंद (चयनित
अंश)
02. बाणभट्ट की आत्मकथा–हजारीप्रसाद
द्विेवेदी (चयनित अंश)
03.
उसने कहा था-चन्द्रधर शर्मा ‘गुलेरी’
04.
कफ़न – प्रेमचंद
05.
पुरस्कार -
जयशंकर प्रसाद
06.
पत्नी -
जैनेन्द्रकुमार
07.
हीली- बोन् की बत्तखें – अज्ञेय
08. रसप्रिया –
फणीश्वरनाथ रेणु
09.
परिन्दे - निर्मल वर्मा
10.
दोपहर का भोजन – अमरकान्त
11.
टूटना – राजेन्द्र यादव
12.
यही सच है- मन्नू भण्डारी
13.
वापसी –उषा प्रियंवदा
14.
बादलों के घेरे – कृष्णा सोबती
15. अमृतसर आ गया
है.... –भीष्म साहानी
16.
मलवे का मालिक-मोहन राकेश
प्रथम सेमेस्टर
तृतीय पाठ्यचर्या (अनिवार्य)
पाठ्यचर्या कोड : MAHD-03
पाठ्यचर्या का शीर्षक : भारतीय काव्यशास्त्र
क्रेडिट – 4
खण्ड
- 01 : काव्य
का स्वरूप
इकाई -1 : काव्य-लक्षण
इकाई -2 : काव्य - हेतु
इकाई -3 : काव्य – प्रयोजन
खण्ड
– 02 : काव्य
के भेद
इकाई -1 : काव्य के भेद
खण्ड
- 03 : शब्द-शक्तियाँ
इकाई -1 : शब्द-शक्तियाँ अर्थ और भेद
खण्ड
- 04 : अलंकार
सिद्धान्त
इकाई 1 : अलंकारों का वर्गीकरण, मूल स्थापनाएँ और मूल्यांकन
खण्ड
– 05 : गुण
सिद्धान्त
इकाई 1 : गुण : स्वरूप-विवेचन, काव्य-गुण और मूल्यांकन
खण्ड
- 06 : रीति सिद्धान्त
इकाई – 1 : रीति : अर्थ, परिभाषा और स्वरूप
इकाई – 2 : रीति के भेद या प्रकार , रीति एवं शैली (स्टाइल)
खण्ड
- 07 : वक्रोक्ति सिद्धान्त
इकाई – 1 : वक्रोक्ति
की अवधारणा ,
अर्थ, परिभाषा और स्वरूप
इकाई – 2 : वक्रोक्ति
के भेद,
वक्रोत्ति एवं अभिव्यंजनावाद
खण्ड
- 08
ध्वनि सिद्धान्त
इकाई -1 : ध्वनि का अर्थ, लक्षण
और स्वरूप, कव्यात्मक के रूप में ध्वनि, ध्वनि तथा रस
सिद्धान्त का
सम्बन्ध
इकाई -2 : ध्वनि-काव्य और उसके भेद, गुणीभूत व्यंग्य और
उसके भेद, अधम काव्य, (चित्रकाव्य)
खण्ड
- 09 : रस सिद्धान्त
इकाई -1 : रस: अर्थ एवं परिभाषा, भाव
: स्वरूप और महत्व, रस तथा भाव का सम्बन्ध, रस के अवयव, रस का स्वरूप
इकाई -2 : भरत के रससूत्र की व्याख्या, रस-निष्पत्ति
: उत्पत्तिवाद, अनुमितिवाद, भूक्तिवाद,
अभिव्यक्तिवाद
इकाई -3 : रस और साधारणीकरण, सहृदय
की अवधारणा
इकाई -4 : काव्य की आत्मा और रस, रस
की सुख-दु:खात्मकता
खण्ड-
10 : औचित्य सिद्धान्त
इकाई -1: औचित्य
: अर्थ परिभाषा और स्वरूप औचित्य के भेद
***
प्रथम सेमेस्टर
चतुर्थ पाठ्यचर्या (अनिवार्य)
पाठ्यचर्या कोड : MAHD-
04
पाठ्यचर्या का शीर्षक : हिंदी साहित्य का इतिहास – I
क्रेडिट – 4
खण्ड
- 1 :
हिंदी साहित्य : इतिहास-लेखन
इकाई -1 : साहित्य का इतिहास-दर्शन, आधारभूत सामग्री
इकाई –2 : हिंदी साहित्य के इतिहास-लेखन की परम्परा, इतिहास-लेखन
की विभिन्न पद्धतियाँ प्रमुख
इतिहास-ग्रन्थ
इकाई -3 : हिंदी साहित्य के इतिहास के पुनर्लेखन की समस्याएँ
इकाई -4 : हिंदी साहित्य का इतिहास : काल-विभाजन, पूर्वापर
समय-सीमा निर्धारण एवं नामकरण
खण्ड
- 2 :
आदिकालीन हिंदी साहित्य
इकाई -1 : आदिकाल की पूर्वापर
समय-सीमा निर्धारण नाम-निर्धारण की समस्या एवं पृष्ठभूमि
इकाई -2 : सिद्ध-नाथ एवं जैनादि कवियों की मानववादी विचारधारा एवं साहित्यिक
अवदान
इकाई -3 : रासो-काव्य-परम्परा, लौकिक साहित्य गद्य साहित्य
इकाई -4 : आदिकालीन हिंदी साहित्य की आधारसामग्री की साहित्यिकता, प्रामाणिकाता
तथा
काव्य-भाषा
खण्ड-
3 :
भक्ति-आन्दोलन का उदय, तत्व–दृष्टि
एवं जीवन-दर्शन
इकाई -1 : भक्ति-आन्दोलन
का अखिल भारतीय स्वरूप और अन्त:प्रादेशिक वैशिष्ट्य, भक्ति-
आन्दोलन और लोक-जागरण
इकाई -2 : भक्ति-आन्दोलन
के उदय की पृष्ठभूमि,
वैष्णव भक्ति की सामाजिक-सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, प्रमुख सम्प्रदाय, प्रमुख आचार्य, आलवार सन्त
इकाई -3 : भक्तिकाव्य का स्वरूप एवं भेद, निर्गुण-सगुण
की अवधारणा, निर्गुण-सगुण का सम्बन्ध, साम्य-वैषम्य
इकाई -4 : भक्त-कवियों की सामाजिक-सांकृतिक चेतना, सामाजिक
दृष्टि : नारी वर्ण–व्यवस्था, जाति
इकाई -5 : भक्तिकाव्य
और लोक-जीवन,
भक्तिकालीन काव्य-मूल्यों की प्रासंगिकता
खण्ड-
4 : हिंदी निर्गुण-काव्य-परम्परा
इकाई -1 : भारतीय धर्म साधना और हिंदी सन्त काव्य निर्गुण सन्त कवियों
का अवदान
इकाई -2 : सन्तकवियों की सामाजिक चेतना
इकाई -3 : सूफी काव्य का वैचारिक आधार, हिंदी के प्रमुख सूफी
कवि और उनका काव्य
इकाई -4 : सूफी कवियों की लोक-संस्कृति, सांस्कृतिक-दृष्टि,
सूफी साहित्य की भाषा, काव्य–रूप तथा छन्द-योजना
खण्ड – 5 : हिंदी सगुणभक्ति-काव्य–परम्परा
इकाई - । : कृष्णभक्ति काव्य का दार्शनिक आधार, कृष्णभक्ति-काव्य–परम्परा , वल्लभ सम्प्रदाय,
अष्टछाप, पुष्टिमार्ग
इकाई -2 : रामभक्ति काव्य का वैचारिक आधार, रामभक्ति-काव्य–परम्परा, रसिक सम्प्रदाय
इकाई -3 : तुलसीदास की प्रमुख कृतियाँ, काव्य,रूप और उनका महत्व
इकाई -4 : तुलसी के समाज-दर्शन की प्रासंगिता
***
प्रथम सेमेस्टर
पंचम पाठ्यचर्या (वैकल्पिक)
विकाल्प - I
पाठ्यचर्या कोड : MAHD - 05
पाठ्यचर्या का शीर्षक : प्रयोजनमूलक हिंदी
क्रेडिट
– 4
खण्ड–
1 : प्रयोजनमूलक हिंदी : भाषिक स्वरूप
एवं प्रयुक्तियाँ
इकाई -1 : प्रयोजनमूलक हिंदी : तात्पर्य एवं विषयक्षेत्र
इकाई -2 : प्रयोजनमूलक हिंदी की विभिन्न प्रयुक्तियाँ
इकाई -3 : प्रशासनिक भाषा के रूप में खडीबोली का विकास
इकाई -4 : कार्यालयी हिंदी : मसौदा एवं टिप्पणी लेखन
इकाई -5 : पारिभाषिक शब्दावली : आवश्यकता, सिद्धान्त,
विकास
खण्ड-2
:
राजभाषा हिंदी की सांविधिक
स्थिति एवं व्यवहार
इकाई -1 : संविधान में राजभाषा सम्बन्धी प्रावधान
इकाई -2 : राजभाषा अधिनियम 1963 एवं राजभाषा नियम 1976
इकाई -3 : भारत सरकार के राजभाषा सम्बन्धी अनुदेश
इकाई -4 : राजभाषा कार्यान्वयन के विविध पहलू
खण्ड-3
: राजभाषा प्रबन्धन
इकाई -1 : राजभाषा कार्मिकों की नियुक्ति एवं प्रशिक्षण
इकाई -2 : राजभाषा सम्बन्धी वार्षिक वित्त प्रबन्धन
इकाई -3 : राजभाषा सम्बन्धी विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन
इकाई -4 : कार्यान्वयन की समुचित रिपोर्टिंग प्रणाली
खण्ड–
4 : अनुवाद : सिद्धान्त एवं व्यवहार
इकाई -1 : अनुवाद प्रक्रिया का सैद्धान्तिक स्वरूप
इकाई -2 : संप्रेषण में अनुवाद कला एवं कौशल की भूमिका
इकाई -3: सांविधिक दस्तावेजों का अनुवाद :मुख्य ध्यातव्य बिन्दु
इकाई-4 : अनुवाद सम्बन्धी नवीनतम सुविधाओं का उपयोग
प्रथम सेमेस्टर
पंचम पाठ्यचर्या (वैकल्पिक)
विकल्प - II
पाठ्यचर्या कोड : MAHD - 06
पाठ्यचर्या का शीर्षक : लोक-साहित्य
क्रेडिट
– 4
खण्ड - 1 : लोक-साहित्य : अवधारणा एवं स्वरूप
इकाई – 1 : लोक, लोकवार्ता
और लोक-साहित्य, लोक-साहित्य और संस्कृति, लोकवार्ता के तत्व और लोक-मानस,
लोक-साहित्य में समानान्तरता और प्रसार
इकाई – 2 : भारत
में लोक-साहित्य के अध्ययन का इतिहास, हिंदी लोक-साहित्य के विशिष्ट
अध्येता, लोक-साहित्य की अध्ययन-प्रक्रिया, लोक-साहित्य संकलन
इकाई - 3 : लोक
साहित्य : लक्षण,
परिभाषा और क्षेत्र, लोक-साहित्य और अन्य
समाज-विज्ञान, हिंदी के प्रारम्भिक साहित्य में लोकतत्व,
वर्तमान अभिजात साहित्य और लोक-साहित्य का अन्त : सम्बन्ध
खण्ड- 2 : लोक-साहित्य के प्रमुख रूप : ।
इकाई -1 : लोक-गीत
:
प्रतिपाद्य एवं महत्व,
सामान्य प्रवृत्तियाँ और रूढ़ियाँ, लोकगीत
एवं शिष्टगीत, लोकगीतों का वर्गीकरण : समस्या और समाधान,
लोकगीतों के वर्गीकरण की परम्परा, लोकगीत के
निर्माण तत्व, लोकगीतों में निरूपित संस्कृति, विभिन्न प्रकार के गीत यथा- संस्कार गीत, व्रत-गीत,
श्रम-गीत, ऋतु- गीत, जाति
गीत आदि का परिचय, लोकगीतों में संगीत का विधान एवं वाद्य-यत्र, लोकगीतों के गाने में प्रयुक्त
लोक-वाद्य, लोकगायक,
लोकगायकों का वर्गीकरण, विशिष्ट लोक-धुनों का
परिचय
इकाई -2 : लोक-नाट्य
:
लक्षण-निर्धारण,
नाट्यधर्मिताएँ, लोकनाट्यों का उद्भव एवं
विकास, लोकनाट्य परम्परा एवं प्रविधि, लोकनाट्यों की विशेषताएँ, लोकमंच स्वरूप और उसके
उपादान, लोकनाट्यों की लोकप्रियता के कारण,लोकनाट्यों के प्रकार, हिंदी नाटक और रंगमंच पर
लोकनाट्यों का प्रभाव, भारत के प्रसिद्ध लोकनाट्यों
यथा-बहुरूप या नकल नसीरा, भगत, रामलीला,
रामलीला, कीर्तनियाँ, यक्षगान,
भवई, विदेसिया, माच,भांड, तमाशा, स्वाँग, नौटंकी, जात्रा
कथकली, ख्याल तुर्राकलंगी, रम्मत आदि का परिचय
इकाई -3 : लोक-नृत्य
: परिभाषा, वैशिष्ट्य,
उत्पत्ति, श्रेणी-विभाजन, भारतीय परम्परा, प्रस्तुतीकरण, भारत के प्रसिद्ध लोक-नृत्यों यथा- घूमर, अग्निनृत्य,चरीनृत्य, तेराताली, डांडिया-गेर,
भांगड़ा,गिद्द, बिहू,
पिण्डवानी, गरबा, गवाल-सींग, डिंडी
और काला आदि का परिचय
इकाई -4 : लोकत्सव
:
प्रतिपाद्य एवं महत्व,
वर्गीकरण, लोकोत्सवों की लोकप्रियता के कारण,
भारत के विशिष्ट लोकोत्सव यथा – गणगौर, रामनवमी,
गुरुपूर्णिमा, गुरुपूर्णिमा, रक्षाबन्धन, हरियाली तीज एवं कजली तीज, नागपंचमी, जन्माष्टमी , गणेशचतुर्थी,
नवरात्रि, दशहरा
अथवा विजयादशमी, दीपावली , भाईदूज,
शिवरात्रि, मकर संक्रान्ति, बसन्त पंचमी, होली आदि का परिचय
खण्ड
– 3 : लोक-साहित्य के प्रमुख रूप :
2
इकाई -1 : लोक-कथा : पुरातन परम्परा, स्रोत, परिभाषा, लोक-कथाओं का शिल्प, विशेषताएँ, वर्गीकरण, फेबुल,
व्रतकथा, परीकथा, लीजेण्ड, मिथ
: पौराणिक कथा, नाग-कथा,
बोध-कथा, कथानक,
रूढ़ियाँ अथवा अभिप्राय,
छोगे एवं बात बणाव आदि, लोककथा कथन में कथक्कड
की भूमिका
इकाई -2 : लोक-गाथा
: परिभाषा,
विशेषताएँ उत्पत्ति,
श्रेणी-विभाजन, भारतीय परम्परा, प्रस्तुतीकरण, भारत की प्रसिद्ध लोक-गाथाओं
यथा-ढोला-मारू, भरथरी,
लोरिकायन, नल-दमयन्ती,
लैला-मझनूँ, हीर-राँझा, सोहनी-महीवाल,बगडात, आल्हा, हरदौल, पाबूजी री पड़, वीर
तेजा आदि का परिचय
इकाई -3 : प्रकीर्ण
साहित्य : लोकिक्ति–परम्परा, उद्भव और विकास, लक्षण,परिभाषा एवं वर्गीकरण, मुहावरे- मुहावरों और
लोकोक्तियों का अन्तर, मुहावरों के प्रकार,
लोकोक्तियों
और मुहावरों में लोक संस्कृति का प्रतिबिम्ब, पहेलियाँ-उद्भव और विकास,
परम्परा, वर्गीकरण, लघुगीत
इकाई -4 :
लोक कलाएँ : प्रतिपाद्य एवं महत्व, लोक-कला की शिल्प-कलाएँ,
वर्गीकरण, भारत की प्रसिद्ध लोक-कलाओं
यथा-माँडणा, मेहँदी, पटचित्र, भित्तिचित्र आदि का परिचय
खण्ड – 4 : हिंदी का लोक-साहित्य
इकाई -1 : हिंदी
के लोक-साहित्य का इतिहास,
विभिन्न जनपदीय बोलियाँ यथा–राजस्थानी, भोजपुरी,
ब्रजभाषा अवधी, बुन्देली, हरियाणवी, खड़ीबोली, कुमाऊँनी,
गढ़वाली, छत्तीगढ़ी बघेली, मालवी, कन्नौजी और लोक-साहित्य
इकाई -2 : हिंदी-लोक-साहित्य
के अग्रणी विद्वानों यथा-संकलन-संग्रह करने वाले विद्वान, अध्ययन
की प्रेरणा देने वाले विद्वान एवं अनुसंधान करने वाले विद्वान आदि के कार्यों की
समीक्षा, हिंदी-प्रदेश का लोक-साहित्य : अध्ययन की सीमाएँ
एवं आवश्यकताएँ
इकाई -3 : हिंदी
की विभिन्न जनपदीय बोलियाँ यथा–राजस्थानी, भोजपुरी, ब्रजभाषा, अवधी, बुन्देली,
हरियाणवी, खड़ीबोली, कुमाऊँनी,
गढ़वाली, छत्तीसगढ़ी बघेली, मालवी, कन्नौजी आदि के लोक-साहित्य का लोक-गीत,
लोकनाट्य लोक-नृत्य, लोकोत्सव, लोककथा, लोकगाथा, प्रकीर्ण
साहित्य लोक कलाओं आदि प्रमुख रूपों के अन्तर्गत परिचय
***
द्वितीय सेमेस्टर
प्रथम पाठ्यचर्या (अनिवार्य)
पाठ्यचर्या कोड : MAHD – 07
पाठ्यचर्या का शीर्षक : मध्यकालीन हिंदी काव्य
क्रेडिट- 4
खण्ड–
1 : हिंदी निर्गुण-काव्य
इकाई – 1 : निर्गुण सन्त-काव्य में निर्गुण ब्रह्म
का स्वरूप,
सद् गुरु का महत्व और माया
सम्बन्धी विचार
इकाई – 2 : निगुर्ण सन्तकवियों की विचार चेतना और
उसकी प्रासंगिकता
इकाई – 3 : कबीर की रहस्यवादी चेतना का स्वरूप
इकाई - 4 : जायसी के काव्य में रहस्यवाद, विरह-वर्णन, प्रेम-व्यंजना, सौन्दर्यदृष्टि
इकाई –5 : ‘पद्मावत’ में रूपतत्व एवं लोकतत्व का निर्वहन
खण्ड
- 2 : हिंदी सगुणभिक्त-काव्य
इकाई -1 : भ्रमरगीत परम्परा में सूर की मौलिक उद्भावना
इकाई -2 : भ्रमरगीत का काव्य-सौष्ठव, भाव-सौन्दर्य,
वाग्वैभव तथा विरह-वर्णन
इकाई -3 : तुलसी के राम का स्वयरूप, कबीर के राम और तुलसी के राम
में साम्म-वैषम्य
इकाई -4 : ‘मानस’ का महाकाव्यत्व, ‘मानस’
में सौन्दर्य तत्व, ‘मानस’ का वैशिष्ट्य
इकाई -5 : ‘अयोध्याकाण्ड’ में भक्ति का स्वरूप, ‘चित्रकूट सभा का वैशिष्ट्य
खण्ड
- 3 : रीतिबद्ध एवं रीतिसिद्ध काव्य
इकाई - । : केशव का आचार्यत्व, केशव का संवाद-सौष्ठव,
केशव की हृदयहीनता
इकाई -2 : ‘रामचन्द्रिका’ का महाकाव्यत्व
इकाई -3 : बिहारी : मुक्तक कवि की दृष्टि से
इकाई -4 : बिहारी की बहुज्ञता : लोकसम्बन्धी एवं विविध शास्त्रसम्बन्धी
ज्ञान
इकाई -5 : बिहारी सतसई में शृंगार निरूपण, नख-शिख वर्णन
खण्ड-4
: रीतितर एवं रीतिमुक्त काव्य
इकाई -1 : सन्तकवि सुन्दरदास की भक्ति-भावना, सुन्दरदास
और लोकधर्म
इकाई -2 : सुन्दरदास की बहुज्ञता, सुन्दरदास का काव्यकलागता वैशिष्ट्य
इकाई -3 : भूषण के काव्य में
युग-बोध;
भूषण की राष्ट्रीय भावना, भूषण : एक जाति कवि
अथवा
राष्ट्रीय कवि
इकाई -4 : घनानन्द की प्रेमानुभूति, विरहानुभूति, भगवद् भक्ति
इकाई -5 : घनानन्द का भाषा-सौष्ठव
निर्धारित
पाठ्य कृतियाँ :
1.
कबीर (चयनित साखी तथा पद)
2.
पद्मावत – मलिक मुहम्मद जायसी (नागमती वियोग
खण्ड)
3.
भ्रमरगीत- सूरदास (चयनित पद)
4.
रामचरितमानस – तुलसीदास (अयोध्याकाण्ड–
चयनित अंश)
5.
रामचन्द्रिका –केशवदास (सोलहवाँ
प्रकाश-रावण-अंगद-संवाद)
6.
बिहारी (चयनित दोहा)
7.
सुन्दर-विलास-सुन्दरदास (उपदेश चितावनी कौ
अंग)
8.
भूषण (चयनित छन्द)
9.
घनानन्द (चयनित छन्द)
***
द्वितीय सेमेस्टर
द्वितीय पाठ्यचर्या (अनिवार्य)
पाठ्यचर्या कोड : MAHD – 08
पाठ्यचर्या का शीर्षक : हिंदी नाटक एवं
रंगमंच
क्रेडिट
– 4
खण्ड - 1 : हिंदी नाटक साहित्य
इकाई -1 : नाटक का स्वरूप, नाटक के तत्व, नाटक के प्रकार
इकाई –2 : नाटक का उद्भव एवं विकास : भारतेन्दु–पूर्व युग, भारतेन्दु
युग, संक्रान्ति युग, अनूदित
नाटक, प्रसादयुगीन नाटक, प्रसादोत्तर नाटक, समकालीन नाटककार ,महिला नाटककार
इकाई –3 : एकांकी नाटक का स्वरूप और क्रमिक विकास
इकाई -4 : गीतिनाट्य : स्वरूप और परम्परा, प्रमुख गीतिनाट्य
इकाई –5 : नुक्कड़ नाटक : स्वरूप, सम्प्रेषण की तीव्रता,
प्रमुख नुक्कड़ नाटक
खण्ड – 2 : रंगमंच : एक प्रदर्शनकारी कला
इकाई – 1 : रंगमंच की परिकल्पना, व्याख्या, प्रकृति तथा स्वरूप : परिचयात्मक पाठ
इकाई - 2 : प्रदर्शन की विविध इकाइयाँ : मंचन, प्रदर्शन,
प्रस्तुति आदि
इकाई – 3 : नाट्य-लेखन की समीक्षा
इकाई – 4 : भारत के नाट्यशास्त्र में वर्णित अभिनय
खण्ड – 3 : अंधेर र नगरी
इकाई - 1 : अंधेर नगरी’ में व्यंग्य–विधान
इकाई- 2 : ‘अंधेर नगरी’ की प्रासंगिकता
इकाई- 3 : रंगमंच की दृष्टि से ‘अंधेर नगरी’
इकाई -4 : ‘अंधेर नगरी’ का भाषा-शिल्प
खण्ड - 4 : चन्द्रगुप्त
इकाई -1 : प्रसाद की नाट्यकला और ‘चन्द्रगुप्त’ नाटक
इकाई- 2 : ‘चन्द्रगुप्त’ नाटक में अभिव्यक्त सामाजिक-सांस्कृतिक
चेतना
इकाई -3 : ‘चन्द्रगुप्त’ नाटक में ‘अन्तर्द्वन्द्व’
का महत्व
इकाई -4 : ‘चन्द्रगुप्त’ नाटक की पात्र-संयोजना एवं प्रमुख
पात्रों का चारित्रिक वैशिष्ट्य
इकाई- 5 : ‘चन्द्रगुप्त नाटक का
भाषा-शिल्प
खण्ड– 5 : अन्धा युग
इकाई -1 : मिथकीय आख्यान का पुनर्सृनजन
इकाई- 2 : ‘अन्धा युग’ में चरित्र-सृष्टि
इकाई -3 : नाट्य-शिल्प, प्रयोगधर्मिता
और नाट्यभाषा की दृष्टि से नाटक का वैशिष्ट्य
इकाई -4 : शीर्षक की सार्थकता एवं ‘अन्धा युग’ का प्रतिपाद्य
निर्धाति पाठ्य
कृतियाँ :
1.
अंधेर नगरी चौपट्ट राजा भारनेन्दु हरिश्चन्द्र
2.
चन्द्रगुप्त–जयशंकर ‘प्रसारद’
(चयनित अंश)
3.
अन्धा युग- धर्मवीर भारती (चौथा अंक -गान्धारी
का शाप)
***
द्वितीय सेमेस्टर
तृतीय पाठ्यचर्या (अनिवार्य)
पाठ्यचर्या कमोड : MAHD- 9
पाठ्यचर्या का शीर्षक : पाश्चात्य काव्यशास्त्र
क्रेडिट
– 4
खण्ड
- 1 : प्रमुख विचारक – 1
इकाई - । : काव्यशास्त्र
के पाश्चात्य विचारक अरस्तू
इकाई -2 : काव्यशास्त्र
के पाश्चातय विचारक लोंजाइनस
इकाई -3 : काव्यशास्त्र
के पाश्चात्य विचारक विलियम वर्ड्सवर्थ
इकाई -4 : काव्यशास्त्र
के पाश्चात्य विचारक सैम्युअल टेलर कॉलरिज
खण्ड
- 2 : प्रमुख विचारक – 2
इकाई -1 : काव्यशास्त्र के पाश्चात्य विचारक मैथ्यू आर्नल्ड
इकाई -2 : काव्यशास्त्र के पाश्चात्य विचारक बेनेदितो क्रोचे
इकाई -3 : काव्यशास्त्र के पाश्चात्य विचारक टी. एस.
एलियट
इकाई -4 : काव्यशास्त्र के पाश्चात्य विचारक आई.ए. रिचर्ड्स
खण्ड
- 3 : सिद्धान्त और वाद
इकाई -1 : स्वच्छन्दतावाद
इकाई -2 : मार्क्सवाद
इकाई -3 : मनोविश्लेषण तथा अस्तित्ववाद
इकाई -4 : रूपवाद
खण्ड
– 4 : आधुनिक समीक्षा की विशिष्ट
प्रवृत्तियाँ
इकाई-1 : संरचनावाद
इकाई-2 : शैलीविज्ञान
इकाई-3 : उत्तर-आधुनिकतावाद
इकाई -4 : विखण्डनवाद
***
द्वितीय सेमेस्टर
चतुर्थ पाठ्यचर्या (अनिवार्य)
पाठ्यचर्या कोड : MAHD – 10
पाठ्यचर्या का शीर्षक : हिंदी साहित्य का
इतिहास -II
क्रेडिट
– 4
खण्ड-1
: रीतिकालीन हिंदी साहित्य
इकाई -1 : नामकरण
की समस्या,
विभिन्न मत,नाम-निर्धारण, रीतिकालीन परिस्थितियाँ एवं परिवेश
इकाई - 2 : रातिकालीन काव्य का स्वरूप
इकाई -3 : काव्यानुभूति के विविध आयाम : शृंगार-वर्णन,
नायिका-भेद,सौन्दर्य-बोध, प्रकृति-चित्रण
इकाई -4 : अभिव्यंजना शिल्प : भाषा, शैली, रस, छन्द अलंकार आदि काव्यांग
खण्ड–
2 : आधुनिक काल : पूर्वपीठिका
इकाई -1 : आधुनिकता की अवधारण, आधुनिकता से अभिप्राय,
नामकरण
इकाई -2 : सांस्कृतिक चेतना और नवजागरण, नवजागरण, की अवधारणा, परिस्थितियाँ
इकाई -3 : हिंदी कविता और आधुनिकता, हिंदी कविता की भाषा : ब्रजभाषा बनाम खड़ीबोली,
रीतिकाल का
विरोध
इकाई-4 : हिंदी गद्य का विकास, दक्षिणी हिन्दी, उत्तर भारत में हिंदी गद्य खड़ी बोली गद्य और
फोर्ट विलियम
कॉलेज
खण्ड
- 3 : पुनर्जागरण, नवजागरण
और स्वच्छन्दता
इकाई -1 : सांस्कृतिक पुनर्जागरण के पुरोध भारतेन्दु और उनका मण्डल
इकाई –2 : भारतेन्दुयुगीन नाटक, काव्य, निबन्ध, साहित्यिक पत्रकारिता और अन्य गद्य-विधाएँ
इकाई –3 : महावीरप्रसाद विद्वेदी और उनका युग, जागरण-सुधार
हिंदी प्रचार कार्य, हिंदी पाठकों में
वृद्धि
इकाई -4 : द्विवेदीयुगीन हिंदी कविता की ऐतिहासिक भूमिका, द्विवेदीयुगीन
कथा-साहित्य,
साहित्यिक
पत्रकारिता और ‘सरस्वती’ पत्रिका का योगदान, नवजागरण
के सन्दर्भ में ‘सरस्वती’ पत्रिका का
अवदान, विविध विषयपरक अनूदित साहित्य और अन्य गद्य-विधाएँ,
हिंदी आलोचना का आरम्भिक विकास
खण्ड
- 4 : छायावाद युग : छायावादी
काव्य और उसके सामानान्तर विकसित गद्य-साहित्य
इकाई -1 : छायावाद की पृष्ठभूमि, नामकरण, छायावाद के कवि और उनका काव्य
इकाई -2 : छायावादी युग की अन्य काव्यधाराएँ, राष्ट्रीय
कविता, प्रेम-व्यंजना एवं काव्य का
विचलन
इकाई -3 : प्रेमचंद्र और हिंदी कथा-साहित्य
इकाई -4 : प्रसाद और उनके समकालीन नाटककार
इकाई -5 : शुक्लयुगीन आलोचना, निबन्ध और अन्य गद्य-विधाएँ
खण्ड
– 5 : छायावादोत्तर युग और स्वातन्त्र्योत्तर
हिंदी साहित्य
इकाई - 1 : प्रगतिवाद, प्रयोगवाद
इकाई -2 : प्रेमचन्द्रोत्तर कथा-साहित्य, प्रसादोत्तर नाटक और एकांकी, शुक्लोत्तर
आलोचना, निबन्ध
और अन्य
गद्य-विधाएँ
इकाई -3 : नयी कविता, साठोत्तरी कविता आन्दोलन, समकालीन कविता, नवगीत, हिंदी ग़ज़ल
इकाई -4 : स्वातन्त्र्योत्तर हिंदी उपन्यास,
कहानी आलोचना नाटक, एकांकी निबन्ध और अन्य गद्य-
विधाएँ
इकाई -5 : प्रवासी भारतीयों का हिंदी लेखन
***
द्वितीय सेमेस्टर
पंचम पाठ्यचर्या (वैकल्पिक)
विकल्प – I
पाठ्यचर्या कोड : MAHD – II
पाठ्यचर्या का शीर्षक : हिंदी पात्रकारिता
क्रेडिट
- 4
खण्ड-
1 : हिंदी पत्रकारिता का स्वरूप
और प्रमुख प्रकार
इकाई -1 : भारतीय
नवजागारण और हिंदी पत्रकारिता : ऐतिहासिक
परिप्रेक्ष्य
इकाई -2 : हिंदी
पत्रकारिता के विविध आयाम : लेखन, साक्षात्कार, रिपोर्टिंग,
सम्पादन
इकाई - 3 : हिंदी पत्रकारिता की भाषा का क्रमिक विकास
इकाई - 4 : पत्रकारिता - केन्द्रित
साहित्य
इकाई
-5 : हिंदी और आंचलिक
पत्रकारिता
खण्ड
- 2 : हिंदी पत्रकारिता का उदय और
विकास
इकाई -1 : उद्बोधन
काल
इकाई
-2 : स्वातन्त्र्य संघर्ष
काल
इकाई -3 :
स्वातन्त्र्योत्तर हिंदी पत्रकारिता
खण्ड
-3 : हिंदी पत्रकारिता का विस्तार
इकाई -1 : हिन्दीभाषी
राज्यों में हिंदी पत्रकारिता
इकाई - 2 : गैर-हिन्दीभाषी राज्यों में हिंदी पत्रकारिता
इकाई -3 : वैश्विक
परिदृश्य में हिंदी पत्रकारिता
खण्ड
-4 : जनमाध्यम और हिंदी पत्रकारिता
इकाई -1 : रेडियो और हिंदी पत्रकारिता
इकाई -2 : टेलीविजन और हिंदी पत्रकारिता
इकाई -3 : सिनेमा और हिंदी पत्रकारिता
इकाई -4 : नव जनमाध्यम और हिंदी पत्रकारिता (ऑन-लाइन पत्रकारिता, हिंदी ब्लॉग, हिंदी ई-
पत्र-पत्रिकाएँ, हिंदी
ई-पोर्टल, हिंदी वेबसाइट्स तथा हिंदी विकीपीडिया के सन्दर्भ
में)
खण्ड–
5 : हिंदी पत्रकारिता के गौरव और
उनका अवदान
इकाई-1 : भारतेन्दु हरिश्चन्द्र मदनामोहन मालवीय, महावीरप्रसाद
द्विवेदी युगल किशोर सुकुल,
बालमुकुन्द
गुप्त
इकाई -2 : बाबूराव विष्णु परडकर, बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’, प्रेमचंद, स, ही वात्स्यायन अज्ञेय
इकाई -3 : माखनलाल चतुर्वेदी गणेशशंकर विद्यार्थी, बनारसीदस
चतुर्वेदी, प्रभाष जोशी
***
द्वितीय सेमेस्टर
पंचम पाठ्यचर्या (वैकल्पिक)
विकल्प – II
पाठ्यचर्या कोड : MAHD-12
पाठ्यचर्या का शीर्षक : हिंदी अनुप्रयोग :
तकनीकी संसाधन एवं उपकरण
क्रेडिट – 4
खण्ड
– 1 : कंप्यूटर और हिंदी
इकाई- 1 : कंप्यूटर में हिंदी का आरम्भ और विकास
इकाई- 2 : कंप्यूटर और हिंदी : चुनौतियाँ एवं संभावनाएँ
इकाई -3 : कप्यूटर में हिंदी के विभिन्न प्रयोग
इकाई -4 : हिंदी के महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर्स
खण्ड–
2 : हिंदी भाषा और प्रौद्योगिकी
इकाई -1 : हिंदी फ़ॉण्ट का अनुप्रयोग : यूनीकोउ से पूर्व एवं उसके
पश्चात्
इकाई- 2 : हिंदी कुंजीपटल का स्वरूप एवं विकास
इकाई -3 : हिंदी के विभिन्न कुंजीपटलों के सन्दर्भ में एम.एस, ऑफिस
का अध्ययन, हिंदी में
एक्सल शीट, पावर
प्वॉइंट का निर्माण तथा पेजमेकर में कार्य
खण्ड
- 3 : कंप्यूटर पर हिंदी लेखन एवं
प्रकाशन
इकाई-1 : हिंदी वेब डिज़ाइनिंग, हिंदी वेबसाइट्स हिंदी ई-पोर्टल
और हिंदी ई-पत्र-पत्रिकाएँ :
विषयवस्तु
एंव भाषिक विश्लेषण
इकाई-2 : इंटरनेट
पर सामग्री सृजन,
हिंदी ब्लॉग लेखन-प्रकाशन, इनकोडिंग, फाइल शेयरिंग, फाइल
फाइल कन्वर्ज़न, अपलोडिंग
डाउनलोडिंग, यू-ट्यूब
इकाई- 3 : हिंदी विकिपीडिया लेखन और उसकी विकास-प्रक्रिया का अध्ययन
इकाई -4 : हिंदी लेखन एवं वेब प्रकाशन के आवश्यक उपकरण : वर्ड
प्रोसेसिंग,
डेटा प्रोसेसिंग,
फ़ॉण्ड
प्रबन्धन विविध तकनीक
खण्ड
– 4 : कंप्यूटर-कृत हिंदी भाषा की
उपादेयता
इकाई-1 : हिंदी भाषा-शिक्षण और ई-लर्निंग, ई-पाठशाला
इकाई-2 : हिंदी भाषा और ई-गवर्नेंस साइबर क़ानून
इकाई-3 : राजभाषा हिंदी के प्रसार में कंप्यूटर-कृत हिंदी भाषा की
भूमिका
***
तृतीय सेमेस्टर
प्रथम पाठ्यचर्या (अनिवार्य)
पाठ्यचर्या कोड : MAHD - 13
पाठ्यचर्या का शीर्षक : आधुनिककालीन हिंदी काव्य
क्रेडिट – 4
खण्ड-1 : हिंदी नवजागरण काव्य
इकाई- 1 : भारतेन्दु के काव्य में पुनर्जागरण की चेतना का स्वरूप, राष्ट्रीय
भावना, सामाजिक चेतना,
निजभाषा
प्रेम, नवीन भाषा एवं विविध काव्य-विधाओं का सूत्रपात, ‘देखी
तुमरी कासी’ में अभिव्यक्त समाज
इकाई- 2 : द्विवेदीयुगीन कविता की ऐतिहासिक भूमिका, राष्ट्रीयता
की भावना, सामाजिकता श्रीधर
पाठक का काव्यगत वैशिष्ट्य
इकाई- 3 : ‘हरिऔध’ का काव्य–शिल्प ‘प्रयप्रवास’
का सामयिक सन्दर्भ विश्वप्रेम
इकाई- 4 : मैथिलीशरण गुप्त का काव्य-शिल्प,गुप्त
के काव्य में युगीन परिवेश, भारतीय संस्कृति और
राष्ट्रीय
भावना ,
‘साकेत’ में उर्मिला की विरह-भावना, ‘साकेत, में लोक-कल्याण की भावना
इकाई-5 : रामनरेश त्रिपाठी का काव्यगत वैशिष्ट्य ‘पथिक’
का सन्देश
खण्ड - 2 : छायावदी काव्य
इकाई-1 : ‘कामायनी’ में निहित आधुनिक सन्दर्भ, दर्शन, परम्परा और आधुनिकता, कामायनी
का
महाकाव्यत्व, रूपकतत्व, प्रसाद की सौन्दर्य चेतना, समरसतावादी दृष्टि
इकाई-2 : लम्बी कविता के रूपबंध की दृष्टि से ‘राम
की शक्तिपूजा’,मानवीय चेतना का काव्य,
आत्मसंघर्ष का कथ्य, प्रासंगिकता
इकाई-3 : पन्त की काव्य-कला, पन्त की सौन्दर्य चेतना
इकाई-4 : महादेवी का गीति सौष्ठव, विरहानुभूति, ‘दीपक’ का प्रतीकार्थ
खण्ड – 3 :
छायावादोत्तर काव्य
इकाई-1 : प्रगतिशीलता की अवधारणा, प्रगतिवाद का मूल भाव,
प्रगतिवादी साहित्य का वैचारिक
आधार
इकाई-2 : प्रगतिशील कवियों की जनवादी चेतना, सामाजिक
चेतना
इकाई-3 : रामधारीसिंह दिनकर
के काव्य में निहित राष्ट्रीय-सांस्कृतिक चेतना
इकाई-4 : केदारनाथ अग्रवाल के काव्य में अभिव्यक्त किसान संवेदना, काव्य-शिल्प
इकाई-5 : नागार्जुन की कविता में अभिव्यक्त लोकदृष्टि नागार्जुन के
काव्य का रचना-विधान,
संवेदना
के रूप
खण्ड - 4 :
प्रयोगवादी काव्य और नयी कविता
इकाई-1 : प्रगतिवाद
और प्रयोगवाद की काव्य-दृष्टि का अन्तर, नये पथ के अन्वेषण की भावना,
नये शिल्प का प्रयोग, प्रयोगवाद और नकेनवाद
का अन्तर, नयी कविता का काव्य-भाषा का नयापन, लघु मानव की प्रतिष्ठा
इकाई – 2 : ‘असाध्य
वीणा’ का मूल प्रतिपाद्य, अज्ञेय के
काव्य में आधुनिक भावबोध, काव्य-भाषा
और काव्य–शिल्प
इकाई- 3 : ‘अँधेरे में’ कविता का मूल प्रतिपाद्य, मुक्तिबोध और फैंटेसी,
मुक्तिबोध का काव्य शिल्प मुक्तिबोध का जीवन-दर्शन
इकाई-4 : रघुवीर सहाय की राजनैतिक चेतना, रघुवीर
सहाय का भाषा-शिल्प
इकाई-5 : मिथकीय चेतना और नयी कविता, कुँवर
नारायण की मिथकीय चेतना
इकाई -6: केदारनाथ सिंह की कविताओं का कथ्य, बिम्ब-विधान,
बिम्ब और प्रतीक का अन्तर
खण्ड–
5 : समकालीन हिंदी कविता
इकाई-1: साठोत्तरी कविता आन्दोलन :विद्रोही पीढ़ी, अ-कविता,
बीट पीढ़ी, युयुत्सावादी कविता,
श्मशानी कविता , वाम
कविता, सहज कविता, विचार कविता
इकाई-2 : समकालीन हिंदी कविता, काव्य-दृष्टि, काल संसक्ति, लोक संसक्ति, आधुनिकता
और
समकालीनता का
अन्तर
इकाई-3 : नवगीत : अर्थ एवं महत्व, हिंदी नवगीत परम्परा,
प्रमुख नवगीतकार
इकाई-4 : ग़ज़ल का मिज़ाज, भाषिक वैशिष्ट्य, हिंदी ग़ज़ल परम्परा, प्रममुख ग़ज़कार
निर्धारित
पाठ्य कृतियाँ :
01.
प्रेमजोगिनी नाटिका- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, ,(प्रथम
अंक : दूसरा गर्भांक- देखी तुमरी कासी)
02.
देश-गीत, सुन्दर भारत, स्वदेश-विज्ञान-श्रीधर पाठक
03.
प्रियप्रवास-अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
(सप्तदश सर्ग)
04.
साकेत- मैथिलीशरण गुप्त (नवम सर्ग-चयनित अंश)
05.
पथिक-रामनरेश त्रिपाठी (दूसरा
सर्ग)
06.
कामायनी-जयशंकर प्रसाद (चिन्ता, श्रद्धा
एवं लज्जा सर्ग)
07.
राम की शक्ति-पूजा-सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’
08.
परिवर्तन- सुमित्रानन्दन पन्त
09.
बीन भी हूँ मैं तुम्हारी रागिनी भी मधुर मेरे
दीपक जल,
मैं नीर भरी दु:ख की बदली- महादेवी वर्मा
10.
मंगल-आह्वान, हिमालय-रामधारी सिंह ‘दिनकर’
11.
गाँव का महाजन, पैतृक सम्पत्ति,
वह चिड़िया जो – केदारनाथ अग्रवाल
12.
अन्न-पचीसी, पुरानी जूतियों का
कोरस-रागार्जुन
13.
असाध्य वीणा –सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन
‘अज्ञेय’
14.
अँधेरे में- गजानन माधव ‘मुक्तिबोध’
15.
आत्महत्या के विरुद्ध, एक
समय था, अनाज के इस्तेमाल- रधुवीर सहाय
16.
नचिकेता, उपसंहार, चक्रव्यूह – कुँवर नारायण
17.
पानी की प्रार्थना, लुखरी,
चींटियों की रुलाई-केदारनाथ सिंह
***
तृतीय सेमेस्टर
द्वितीय पाठ्यचर्या (अनिवार्य)
पाठ्यचर्या कोड : MAHD-14
पाठ्यचर्या का शीर्षक : हिंदी
आलोचना
क्रेडिट-
4
खण्ड
-1 : आलोचना की सैद्धान्तिकी और
विकास
इकाई- 1 : आलोचना का स्वरूप
इकाई -2 : आलोचना
का विकास : भारतेन्दुयुगीन आलोचना, द्विवेदीयुगीन आलोचना,
इकाई - 3 : शुक्लयुगीन आलोचना
इकाई - 4 : शुक्लोत्तरयुगीन आलोचना
खण्ड-2
: प्रमुख आलोचक
इकाई -1 : रामचन्द्र शुक्ल
इकाई -2 : नन्ददुलारे वाजपेयी
इकाई - 3 : हजारीप्रसाद द्विेवेदी
इकाई -4 : रामविलास शर्मा
खण्ड
- 3 : कवि आलोचक
इकाई -1 : कवि आलोचक जयशंकर प्रसाद
इकाई -2 : कवि आलोचक सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’
इकाई –3 : कवि आलोचक गजानन माधव ‘मुक्तिबोध’
इकाई -4 : कवि आलोचक विजयदेवनारायण साही
खण्ड–
4 : कवि आचार्य शिक्षण परम्परा
इकाई -1 : कवि आचार्य केशवदास
इकाई -2 : कवि आचार्य चिन्तामणि
इकाई- 3 : कवि आचार्य देव
इकाई -4 : कवि आचार्य भिखारीदास
खण्ड
- 5 : हिंदी आलोचना की प्रमुख
प्रवृत्तियाँ
इकाई -1 : व्यक्तिवादी, ऐतिहासिक
इकाई- 2 : तुलनात्म, प्रभाववादी, मनोविश्लेषणवादी
इकाई -3 : सौन्दर्यशास्त्रीय, शैलीवैज्ञानिक, समाजशास्त्रीय
इकाई- 4 : मार्क्सवादी एवं प्रगतिशील आलोचना
***
तृतीय सेमेस्टर
तृतीय पाठ्यचर्या (अनिवार्य)
पाठ्यचर्या कोड : MAHD-15
पाठ्यचर्या का शीर्षक : हिंदी
भाषा का विकास एवं नागरी लिपि
क्रेडिट
– 4
खण्ड–
1 : हिंदी भाषा का विकास :
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
इकाई - 1 : प्राचीन भारतीय आर्यभाषाएँ : वैदिक एवं लौकिक संस्कृत
इकाई - 2 : मध्यकालीन भारतीय आर्यभाषाएँ : पालि प्राकृत अपभ्रंश
इकाई - 3 : आधुनिक भारतयी आर्यभाषाएँ उनका वर्गीकरण
खण्ड
-2 : हिंदी भाषा-समुदाय
इकाई -1 : हिंदी शब्द का अर्थ और प्रयोग
इकाई -2 : हिंदी भाषा-समुदाय का वर्गीकरण
इकाई -3 : भाषा-समुदाय-प्रथम वर्ग ( हिंदी की उपभाषाएँ) : राजस्थानी, बिहारी, पहाड़ी भाषाएँ
इकाई -4 : भाषा-समुदाय- द्वितीय वर्ग (हिंदी की बोलियाँ) पूर्वी और
पश्चिमी हिंदी में अन्तर,
पश्चिमी
हिंदी की
बोलियाँ-खड़ीबोली,
बांगरू, ब्रजभाष, कन्नौजी,
बुन्देली का परिचय, पूर्वी हिंदी की बोलियाँ-अवधी, बधेली,
छत्तीसगढ़ी का परिचय)
इकाई -5 : भाषा-समुदाय-तृतीय वर्ग (हिंदी की विभाषाएँ) : हिन्दीवी, दक्खिनी हिन्दी, देख्ता,
उर्दू,
हिन्दुस्तानी
खण्ड-
3 : हिंदी की भाषा संरचना
इकाई- 1 : हिंदी ध्वनियों का निरूपण: उच्चारण अवयव, ध्वनियों
का वर्गीकरण, सन्धि तथा उसके
भेद-प्रभेद
इकाई -2 : हिंदी शब्द रचना :
उपसर्ग,
प्रत्यय तथा समास, उपसर्ग और परसर्ग में अन्तर
इकाई -3 : व्याकरणिक प्रकार्य के आधार पर हिंदी शब्द वर्ग : (i) विकारी शब्द – संज्ञा,
सर्वनाम,
विशेषण, क्रिया
(ii) अविकारी शब्द –
क्रिया विशेषण, सम्बन्धबोधक, समुच्चयबोधक,
विस्मयादिबोधक तथा
निपात
इकाई -4 : भाषा संरचना की व्याकरणिक कोटियाँ : लिंग, वचन,
कारक, काल, पक्ष,
वृत्ति तथा वाच्य
इकाई -5 : हिंदी वाक्य-रचना : वाक्य के प्रकार, उपवाक्य,
उपवाक्य के प्रकार, पदक्रम और अन्विति
खण्ड-
4 : हिंदी के विविध रूप
इकाई -1 : भाषा,
राष्ट्रभाषा और राजभाषा के रूप में हिंदी
इकाई- 2 : माध्यम भाषा, संचार भाषा
इकाई- 3 : हिंदी का आधुनिक विकास और सांवैधानिक स्थिति
इकाई- 4 : हिंदी का वैश्विक रूप
खण्ड
- 5 : लिपि का उदय और विकास
इकाई – 1 : लिपि का विकास
इकाई – 2 : भारतयी लिपियाँ और देवनागरी लिपि
इकाई – 3 : देवनागरी लिपि : नामकरण के आधार, देवनागरी लिपि की
विशेषताएँ
इकाई – 4 : देवनागरी लिपि एवं वर्तनी का मानकीकरण
***
तृतीय सेमेस्टर
चतुर्थ पाठ्यचर्या (अनिवार्य)
पाठ्यचर्या कोड : MAHD-16
पाठ्यचर्या का
शीर्षक : तुलनात्मक भारतीय साहित्य
क्रेडिट
– 4
खण्ड-1
: भारतीय साहित्य की अवधारणा
इकाई – 1 : भारतीय साहित्य का स्वरूप, भारतीय साहित्य का इतिहास,
आधुनिक भारतीय साहित्य :
प्रवृत्त्यात्मक
परिचय
इकाई- 2 : भारतीय सहित्य के अघ्ययन की समस्याएँ
इकाई - 3 : भारतीय साहित्य की मूलभूत एकता, भारतीय साहित्य में
आज के भारत का बिम्ब
इकाई - 4 : भारतीयता का समाजशास्त्र
खण्ड
– 2 : काव्य
इकाई- 1 : उर्दू: किया तुझ इश्क़ न ज़ालिम ख़राब आहिस्ता आहिस्ता, सरोदे
ऐश गावें हम अगर वे इश्वासाज़ आवे –वली
दक्कनी
इकाई - 2 : बांग्ला : ब्राह्मण, भारत
तीर्थ, धुलि-मन्दि-रवीन्द्रनाथ टैगोर
इकाई -3 : तमिल : रे विदेशियो ! भेद
न हममें, सब शत्रुभाव मिट जाएँगे- सुब्रह्मण्यम् भारती
इकाई- 4 : पंजाबी : सबसे ख़तरनाक, मेरी
बुलबुल – पाश
इकाई-5 : संताली : क्या तुम जानते हो, बिटिया
मुर्मू के लिए, उतनी दूर मत ब्याहना बाबा !- निर्मला पुतुल
खण्ड
- 3 : उपन्यास
इकाई -1 : मलयामल : मछुआरे – तकष़ि
शिवशंकर पिल्लै
इकाई -2 : ओड़िया : महामोह – प्रतिभा राय
खण्ड–
4 : नाटक
इकाई- 1 : मराठी : खामोश ! अदालत जारी है- विजयक
तेंडुलकर
इकाई- 2 : कन्नड़ : त़ुग़लक- गिरीश कार्नाड
खण्ड
- 5 : कहानी
इकाई - 1 : बांग्ला : कबुलीवाला- रवीन्द्रनाथ टेगोर
इकाई - 2 : उर्दू : टोबा टेकसिंह-सआदत हसन मंटो
इकाई - 3 : राजस्थानी : दुविधा-विजयदान देथा
निर्धारित
पाठ्य कृतियाँ :
01.
किया तुझे इश्क़ ने ज़ालिम ख़राब आहिस्ता
आस्तिा,
सरोदे ऐश गावें हम अगर वो इश्वासाज़ आवे-वली दक्नी
02. ब्राह्मण, भारत तीर्थ धूलि-मन्दिर – रवीन्द्रनाथ टैगोर
03. रे
विदेशियो ! भेद न हममें , सब
शत्रुभाव मिट जाएँगे-सुब्रह्मण्यम् भारती
04. सबसे
ख़तरनाक,
मेरी बुलबुल–पाश
05. क्या
तुम जानते हो, बिटिया मुर्मू के लिए, उतनी दूर मत ब्याहना बाबा ! निर्मला पुतुल
06. मछुआरे-
तकष़ि शिवशंकर पिल्लै (चयनित अंश)
07. महामोह
– प्रतिभा राय (चयनित अंश)
08. ख़ामोश
!
अदालत जारी है- विजय तेंदुलकर ( चयलित अंश)
09. तुग़लक-
गिरीश कार्नाड ( चयनित अंश)
10. काबुलीवाला
– रवीन्द्रनाथ टैगोर
11. टोबा
टेकसिंह – सआदत हसन मंटो
12. दुविधा-
विजयदान देथा
***
तृतीय सेमेस्टर
पंचम पाठ्यचर्या (वैकल्पिक)
विकल्प– I
पाठ्यचर्या कोड : MAHD-17
पाठ्यचर्या का शीर्षक : हिंदी भाषा एवं भाषा-शिक्षण
क्रेडिट
– 4
खण्ड
– 1 : भाषा और भाषा-शिक्षण
इकाई – 1 : भाषा- अवधारणा और स्वरूप
इकाई – 2 : भाषा-शिक्षण की अवधारण
इकाई – 3 : पाठ्यक्रम की प्रकृति, निर्धारण और उसका विकास
इकाई- 4 : भाषा मूल्यांकन और
परीक्षण
खण्ड
- 2 : हिंदी भाषा-संरचना
इकाई – 1 : ध्वनि संरचना
इकाई – 2 : शब्द संरचना
इकाई – 3 : रूप संरचना
इकाई – 4 : वाक्य संरचना
खण्ड
- 3 : भाषा-शिक्षण : प्रविधि और
अधिगम
इकाई – 1 : भाषा-शिक्षण विधियाँ
इकाई – 2 : उत्तरसंरचना विधियाँ
इकाई - 3 : भाषा-शिक्षण में कंप्यूटर और मल्टीमीडिया का अनुप्रयोग
इकाई- 4 : ऑन-लाइन भाषा-शिक्षण
खण्ड–
4 : हिंदी भाषा-शिक्षण (मातृभाषा
और अन्य भाषा के सन्दर्भ में)
इकाई – 1 : वाचन
और लेखन
इकाई – 2 : हिंदी
श्रवण और भाषाण- क्षमता का विकास
इकाई – 3 : शब्दावली
और व्याकरण
इकाई – 4 :
साहित्य-शिक्षण
***
तृतीय सेमेस्टर
पंचम पाठ्यचर्या (वैकल्पिक)
विकल्प– II
पाठ्यचर्या कोड : MAHD-18
पाठ्यचर्या का शीर्षक : सृजनात्मक लेखन
क्रेडिट
– 4
खण्ड-
1 : सृजनात्मक लेख क सामान्य
नियम
इकाई – 1 : सृजनात्मक लेखन : अर्थ, क्षेत्र और महत्व
इकाई - 2 : रचना प्रक्रिया
इकाई -3 : रचना
का उद्येश्य : स्वरूप की प्राप्ति
इकाई- 4 : विषयवस्तु का निर्धारण
खण्ड
-2 : सृजनात्मकता के
सामाजिक-दार्शनिक आधार
इकाई-1 : लेखक की सामाजिक पृष्ठाभूमि और दार्शनिक विचार
इकाई-2 : लेखक के सामाजिक सरोकार
इकाई-3 : सृजनात्मकता में राजनैतिक विचारों का महत्व
इकाई-4 : लेखकीय मनोविज्ञन
खण्ड
-3 : फ़ीचर लेखन
इकाई -1: फ़ीचर
लेखन : परिचय,
अर्थ, स्वरूप एवं महत्व
इकाई-2 : संचार
माध्यम और विभिन्न विषयों पर फ़ीचर लेखन
इकाई-3 : रिपोर्ताज
: अर्थ एवं स्वरूप
इकाई-4 : रेडियो
लेखन वार्ता लेखन,
पटकथा लेखन, कविता लेखन
खण्ड-4
: हिंदी सृजनात्मक लेखन में
नवाचार
इकाई -1: समाकालीन पॉपुलर साहित्य : परिचय एवं प्रकार
इकाई-2 : लप्रेक एवं यूनी कवि : परिचय एवं वैशिष्ट्य
इकाई-3 : गैर कथात्मक लेखन और नवाचार
इकाई- 4 : सृजनात्मक लेखन से सम्बन्धित प्रमुख ब्लॉग : परिचय एवं
वैशिष्ट्य
***
चतुर्थ सेमेस्टर
प्रथम पाठ्यचर्या (अनिवार्य)
पाठ्यचर्या कोड : MAHD-19
पाठ्यचर्या का शीर्षक : हिंदी नीतिकाव्य और मूल्य चेतना
क्रेडिट
– 4
खण्ड
-1 : नीति और नीतिकाव्य :
अवधारणा एवं सैद्धान्तिकी
इकाई- 1 : ‘नीति’ और
‘नीतिकाव्य‘ : अवधारणा एवं स्वरूप,
नीति के प्रकार, नीतिकाव्य : काव्यत्व विषयक
मत, नीतिकाव्य का प्रयोजन, पद्य, सूक्ति
और काव्य में भेद
इकाई – 2 : मूल्य चेतना : अवधारणा एवं स्वरूप, मूल्य
और जीवन-मूल्य, जीवन-मूल्य विषयक भारतीय और पाश्चात्य
दृष्टिकोण, विविध पक्ष
इकाई- 3 : नीतिकाव्य की परम्परा : वैदिक साहित्य, संस्कृत
साहित्य, पालि साहित्य, प्राकृत साहित्य, अपभ्रंश साहित्य,
आदिकालीन साहित्य, भक्तिकालीन साहित्य,
रीतिकालीन साहित्य में नीति और मूल्य चेतना
खण्ड
- 2 : सन्तकवियों के काव्य में
अभिव्यक्त सामाजिक,
सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्य चेतना
इकाई -1 : कबीर
इकाई – 2 : रज्जब
इकाई - 3 : सुन्दरदास
खण्ड
- 3 : भक्तकवियों के काव्य में
अभिव्यक्त सामाजिक,
सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्य चेतना
इकाई -1 : तुलसीदास
इकाई -2 : रहीम
खण्ड
– 4 : रीतिकालीन कवियों के काव्य
में अभिव्यक्ति सामाजिक,
सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्य
इकाई- 1 : बिहारीलाल
इकाई -2 : वृन्द
इकाई- 3 : घाघ-भड्डरी
इकाई-4 : गिरिधर कविराय
इकाई-5 : दीनदयाल गिरि
खण्ड
- 5 : अन्य कवियों के काव्य में
अभिव्यक्त सामजिक,
सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूलय चेतना
इकाई -1 : रैदास (रविदास)
इकाई- 2 : नानक,
रसखानि
इकाई -3 : जमाल,
रामसहाय दास, सम्मन, बेताल
निर्धारित
पाठ्य कृतियाँ :
01.
कबीर (चयनित साखी)
02.
रज्जब (चयनित साखी)
03.
सुन्दरदास (चयनित छन्द)
04.
तुलसीदास (चयनित दोहा)
05.
रहीम (चयनित दोहा)
06.
बिहारीलाल (चयनित दोहा)
07.
वृन्द (चयनित दोहा)
08.
घाघ (चयनित कहावतें)
09.
भड्डरी (चयनित कहावतें)
10.
गिरिधर कविराय (चयनिता छन्द)
11.
दीनदयाल गिरी (चयनित छन्द)
12.
रैदास (चयनित पद)
13.
नानक (चयनित साखी)
14.
रसखानि (चयनित दोहा)
15.
जमाल (चयनित दोहा)
16.
रामसहाय दास (चयनित दोहा)
17.
सम्मन (चयनित दोहा)
18.
बेताल (चयनित छन्द)
***
चतुर्थ सेमेस्टर
द्वितीय पाठ्यचर्या (अनिवार्य)
पाठ्यचर्या कोड : MAHD-20
पाठ्यचर्या
का शीर्षक : हिंदी के विविध गद्य-रूप
क्रेडिट -4
खण्ड-
1 : निबन्ध सहित्य
इकाई- 1 : आचरण की सभ्यता – सरदार पूर्णसिंह
इकाई- 2 : उत्साह –रामचन्द्र शुक्ल
इकाई- 3 : अशोक के फूल-हजारीप्रसाद द्विवेदी
इकाई- 4 : भाषा बहता नीर-कुबेरनाथ राय
इकाई- 5 : मेरे राम का मुकुट भीग रहा है – विद्यानिवास मिश्र
खण्ड
- 2 : विविध गद्य-रूप – 1
इकाई -1 : आत्मकथा : क्या भूलूँ क्या याद करूँ- हरिवंशराय बच्चन
इकाई -2 : जीवनी-साहित्य : आवारा मसीहा- विष्णु प्रभाकर
इकाई -3 : यात्रा-साहित्य : किन्नर देश की ओर –राहुल सांकृत्यायन
खण्ड
-3 : विविध गद्य-रूप – 2
इकाई – 1 : संस्मरण : पथ के साथी : सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’
– महादेवी वर्मा
इकाई - 2 : रेखाचित्र : रजिया –रामवृक्ष बेनीपुरी
इकाई - 3 : डायरी : मोहनराकेश की डायरी – मोहन राकेश
इकाई - 4 : रिपोर्ताज : बूढ़ी बामणी – सत्यनारायण
खण्ड
- 4 : विविध गद्य-रूप – 3
इकाई -1 : साक्षात्कार : एक अपना ही अजनबी – मनोहरश्याम जोशी
इकाई -2 : पत्र-साहित्य : भिक्षु के पत्र-भदन्त आनन्द कौसल्यायन
इकाई -3 : गद्यकाव्य : साहित्य देवता- माखनलाल चतुर्वेदी
इकाई -4 : व्यंग्य विधा :
इंस्पेक्टर मातादीन चाँद पर– हरिशंकर परसाई
निर्धारित
पाठ्य कृतियाँ
01.
आचरण की सभ्यता-सारदार पूर्णसिंह
02.
उत्साह- रामचद्र शुक्ल
03.
अशोक के फूल–हजारीप्रसाद द्विवेदी
04.
भाषा बहता नीर – कुबेरनाथ राय
05.
मेरे राम का मुकुट भीग रहा है-विद्यनिवास
मिश्र
06.
क्या भूलूँ क्या याद करूँ - हरिवंशराय बच्चन
(चयनित अंश)
07.
आवारा मसीहा-विष्णु प्रभाकार (चयनित अंश)
08. किन्नर
देश की ओर –राहुल सांकृत्यायन
09. पथ
के साभी : सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’– महादेवी वर्मा
10. रजि़या-रामवृक्ष
बेनीपुरी
11. मोहन
राकेश की डायरी-मोहन राकेश (चयनित अंश)
12. बूढ़ी
बामणी-सत्यनारायण
13. एक
अपना ही अजनवी-मनोहर श्याम जोशी
14. भिक्षु
के पत्र – भदन्त आनन्द कौसल्यायन (चयनित अंश)
15. साहित्य-देवता-माखनला
चतुर्वेदी
16. इंस्पेक्टर
मातादीन चाँद पर हरिशंकर परसाई
***
चतुर्थ सेमेस्टर
तृतीय पाठ्यचर्या (अनिवार्य)
पाठ्यचर्या कोड : MAHD-21
पाठ्यचर्या का शीर्षक : भाषाविज्ञान
क्रेडिट
– 4
खण्ड - 1 : भाषा और भाषाविज्ञान
इकाई -1 : भाषा की परिभाषा और अभिलक्षण
इकाई -2 : भाषाओं का वर्गीकरण तथा उनके आधार और आकृतिमूलक वर्गीकरण
इकाई -3 : पारिवारिक वर्गीकरण तथा भारतीय भाषाएँ
इकाई -4 : भाषाविज्ञान : स्वरूप और व्याप्ति; भाषाविज्ञान
के अंग
इकाई -5 : भाषाविज्ञान की शाखाएँ : वर्णनात्मक भाषाविज्ञान, ऐतिहासिक
भाषाविज्ञान, तुलनात्म
भाषाविज्ञान
इकाई- 6 : भाषा परिवर्तन : स्वरूप, कारण एवं दिशाएँ
खण्ड -2 : ध्वनि विज्ञान
इकाई- 1 : वाग्यंत्र का वर्गीकरण
इकाई- 2 : स्वर-व्यंजन, वैदिक संस्कृत ध्वनियाँ,
हिन्दी, ध्वनियाँ हिंदी ध्वनियों का
वर्गीकरण, स्वरों
का वर्गीकरण, व्यजनों का वर्गीकरण
इकाई -3 :
स्वनिम-परिभाषा, स्वनिम तथा संस्वन, स्वनिम निर्धारण की विधि,
संस्वन निर्धारण की विधि,
स्वनिय के भेद – (क)
खंडीय स्वनिम (ख) खंडेतर स्वनिम, हिंदी की स्वनिम व्यवस्था
इकाई- 4 : ध्वनि विज्ञान और स्वनिम
विज्ञान,
निष्पादक स्वनिम विज्ञान, निष्पादक स्वनिम
विज्ञान
तथा प्रभेद लक्षण, हिंदी
की स्वनिमिक समस्याएँ–अ लोप की समस्या , उत्क्षिप्त ध्वनियाँ, नासिक्य ध्वनियों की समस्या,
महाप्राण ध्वनियों की समस्या
इकाई- 5 : ध्वनि परिवर्तन : कारण, परिवर्तन तथा ध्वनि परविर्तन
की दिशाएँ
खण्ड – 3 : रूपविज्ञान (पदविज्ञान)
इकाई-1 : रूपविज्ञान (पदविज्ञान) : रूवरूप एवं विषयवस्तु
इकाई-2 : पर और शब्द, पर और सम्बन्धतत्व,
पद विभाग : अर्थतत्व और सम्बन्धतत्व का संयोग,
पद, पदबंध और वाक्य
खण्ड– 4 : वाक्य
विज्ञान
इकाई – 1: वाक्य विज्ञान का स्वरूप, पद और वाक्य
(अभिहितान्वयवाद और अन्विताभिधानवाद)
इकाई- 2 : वाक्य की परिभाषा, वाक्य
के अनिवार्य तत्व
इकाई- 3 : वाक्य और पदक्रम, वाक्यों के प्रकार
इकाई – 4 :
उपवाक्य और उसके प्रकार
इकाई – 5 : पदिम
खण्ड
- 5 : अर्थ विज्ञान
इकाई-1 : अर्थ का लक्षण, शब्द और अर्थ का सम्बन्ध
इकाई-2 : अर्थबोध (संकेत ग्रह) के साधन, अर्थबोध (संक्रत ग्रह)
के बाधक तत्व
इकाई -3 : एकार्थक शब्दों का अर्थ निर्णय, नानार्थक शब्दों का
अर्थ निर्णय
इकाई -4 : अर्थ परिवर्तन की दिशाएँ तथा कारण
इकाई -5 : अर्थिम, अर्थतत्व,
अर्थिम और रूपित में सम्बन्ध
***
चतुर्थ सेमेस्टर
चतुर्थ पाठ्यचर्या (अनिवार्य)
पाठ्यचर्या कोड : MAHD-22
पाठ्यचर्या का शीर्षक : नव सामाजिक विमर्श
क्रेडिट
- 4
खण्ड – 1 : विमर्शों की सौद्धान्तिकी
इकाई- 1 : स्त्री विमर्श : अर्थ, परिभाषा लिंग तथा जेंडर,
पितृसत्ता की उत्पत्ति एवं
विचारधारा,
यौनिकता, सत्ता,
हिंसा, स्त्रीत्व, पुरुषत्व,
समानता, सशक्तीकरण, नरीवादी
के प्रकार तथा सिद्धान्त ; महिला आन्दोलन (पाश्चात्य और भारतीय) ; समाकालीन हिंदी
साहित्य में स्त्री विमर्शमूलक साहित्य लेखन
इकाई -2 : दलित विमर्श : दलित साहित्य की अवधारणा, स्वरूप,
वैचारिकता, दलित साहित्य की
सामाजिक
प्रतिबद्धता,
दलित साहित्य की धार्मिक, सांस्कृतिक और
आर्थिक मान्यताएँ, दलित साहित्य की शिल्पगत प्रवृत्तियाँ
: भाषा, बिम्ब, प्रतीक, मिथक; हिंदी काव्य में दलित पीड़ा की अभिवयक्ति,
दलित-काव्यधारा, हिंदी समीक्षा और दलित साहित्य,
समकालीन हिंदी साहित्य में दलित विमर्शमूलक साहित्य परिदृश्य
इकाई- 3 : आदिवासी
विमर्श : अवधारणा और स्वरूप; जल,जंगल, जमीन और अस्मिता का सवाल, आदिवासी चेतना, मौखिक और लिखित साहित्य परम्परा, सांस्कृतिक
विशिष्टताएँ ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य, आदिवासी दर्शन एवं
वैचारिकता, आदिवासी भाषाएँ और बोलियाँ , समकालीन हिंदी साहित्य में आदिवासी विमर्शमूलक साहित्य लेखन
खण्ड – 2 : काव्य
इकाई - 1 : स्त्रियाँ, बेजगह,
तुलसी का झोला- अनामिका
इकाई - 2 : इस
स्त्री से डरो,
सात भाइयों के बीच चम्पा, गार्गी-कात्यायनी
इकाई - 3 : कैसा
उदारवाद यह,
छत की तलाश, सुनो ब्राह्मण ! – मलखान सिंह
इकाई - 4 : चिड़िया
जो मारी गई,
तब तुम्हारी निष्ठा क्या होती ? शम्बूक- कँवल भारती
इकाई - 5 :
कथन शालवन के अंतिम शाल का,
जड़ी-बूटी पीसने की तरह, राजा ठाकुर होते थे-
रामदयाल मुण्डा
खण्ड - 3 : उपन्यास
इकाई -1 : एक जमीन अपनी – चित्र मुद्गल
इकाई -2 : नीली आकाश – सुशीला टाकभौरे
इकाई-3 : जंगल के गीत- पीटर पौल एक्का एस, जे.
खण्ड - 4 : कहानी
इकाई -1 : अन्नपूर्णा मंडल की आखिरी चिठ्ठी-सुधा
अरोड़ा
इकाई – 2 : अम्मा
– ओमप्रकाश वाल्मीकि
इकाई – 3 : मैना-रोज
केरकोट्टा
खण्ड
- 5 : आत्मकथा
इकाई – 1 : मुर्दहिया – तुलसीराम
निर्धारित
पाठ्य कृतियाँ :
01.
स्त्रियाँ बेजगह, तुलसी
का झोला-अनामिका
02.
इय स्त्री से डरो, सात
भाइयों के बीच चम्पा, गार्गी – कात्यायनी
03.
कैसा उदारवाद यह , छत
की तलाश, सुनो ब्राह्मणी ! - मलखान
सिंह
04.
चिड़िया जो मारी गई, तब
तुम्हारी निष्ठा क्या होती ? शम्बूक-कँवल भारती
05.
कथन शालवन के अंतिम शाल का, जड़ी-बूटी
पीसने की तरह, राजा डाकुरी होते थे- रामदयाल मुण्डा
06.
एक और ज़नी-शिकार, कलम
को तीर होने दो, हे समय के पहरेदारों !
ग्रेस कुजूर
07.
एक ज़मीन अपनी-चित्रा मुद्गल (चयनित अंश)
08.
नीला आकाश – सुशीला टाकभौरे ( चयनित अंश)
09.
जंगल के गीत – पीटर पौल एक्का एस०जे० (चयनित
अंश)
10.
अन्नपूर्ण मंडल की आखिरी चिठ्ठी –सुधा अरोड़ा
11.
अम्मा- ओमप्रकाश वाल्मीकि
12.
मैना-रोज केरकेट्टा
13.
मुर्दहिया-तुलसीराम (चयनित अंश)
***
चतुर्थ सेमेस्टर
पंचम पाठ्यचर्या (वैकल्कि)
विकल्प - I
पाठ्यचर्या कोड- MAHD –
23
पाठ्यचर्या का शीर्षक : परियोजना कार्य- रचनाकार
का विशेष अध्ययन
क्रेडिट
– 4
अधिकतम अंक – 100
एम.ए. हिंदी पाठ्यक्रम के परियोजना
कार्य के प्रथम विकल्प के रूप में ‘‘रचनाकार
का विशेष अध्ययन’ पाठ्यचर्या
का समावेश किया गया है जिसमें विभिन्न युगों के उन्नायक और विधा विशेष के
शीर्षस्थ 20 (बीस) रचनाकर निर्धारित किये गए हैं । विद्यार्थी से अपेक्षा की जाती
है कि वह हिंदी के उन कालजयी रचनाकारों का विशेष अध्ययन करें जिन्होंने चिन्तन
और सर्जन के क्षेत्र में अपना विशिष्ट योगदान किया है और जिनका लेखन आज भी
प्रासंगिक है । प्रस्तुत परियोजना कार्य के अन्तर्गत विद्यार्थी द्वारा निर्दिष्ट
रचनाकारों में से किसी एक रचनाकार के समग्र
कृतित्व का सघन अध्ययन करना एवं उसका सम्यक् मूल्यांकन करते हुए न्यूमतम
10, 000 (दस हजार) शब्दों में
परियोजना कार्य प्रस्तुत करना अपेक्षित है ।
01.
कबीरदास
02.
दादूदयाल
03.
सुन्दरदास
04.
मलिक मुहम्द जायसी
05.
सूरदास
06.
मीरा
07.
तुलसीदास
08.
केशवदास
09.
बिहारी
10.
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
11.
जयशंकर प्रसाद
12.
सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’
13.
प्रेमचंद
14.
यशपाल
15.
राही मासूम रज़ा
16.
कृष्णा सोबती
17.
रमचन्द्र शुक्ल
18.
हजारीप्रासाद द्विवेदी
19.
स. ही वात्स्यायन अज्ञेय
20.
तुलसीराम
चतुर्थ
सेमेस्टर
पंचम
पाठ्यचर्या (वैकल्पिक)
विकल्प – II
पाठ्यचर्या
कोड : MAHD – 24
पाठ्यचर्या
का शीर्षक : पिरयोजना कार्य- हिंदी की संस्कृति का विशेष अध्ययन
अधिकतम
अंक – 100
एम.ए. हिंदी पाठ्यक्रम
के परियोजना कार्य के द्वितीय विकल्प के रूप में
‘‘हिंदी की संस्कृतिक का विशेष अध्ययन’’ पाठ्यचर्या का समावेश किया गया
है जिसका उद्देश्य हिंदी की समवेत संस्कृति
की स्थापना, विस्तार एवं प्रचार-प्रसर में सहायक विभिन्न
प्रचार संस्थाओं/ नाट्य-संस्थाओं, पत्र-पत्रिकाओं
साहित्यिक आन्दोलनों, पुस्तकालयों, साहित्यिक
केन्दों तथा साहित्यिक कृतियों पर बनने वाले सिनेमा और टेलीविजन धारावाहिकों,
प्रकाशकों आदि के विशेष योगदान को निरूपित करना है । प्रस्तुत
पाठ्यचर्या का उद्देश्य एम.ए. स्तर का विद्यार्थी पाठ्यक्रम में निर्धारित पाठ्य
तक ही सीमित न रहकर हिंदी की विस्तृत संस्कृति से भी भली-भाँति परिचित हो कसे ।
प्रस्तुत पाठ्यचर्या में परियोजना कार्य के अन्तर्गत विद्यार्थी से अपेक्षा की
जपाती है कि वह निर्धारित प्रत्येक खण्ड में से एक-एक (1-1) इकाई से सवम्बद्ध
विषय का व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त करें एवं प्रत्येक खण्ड से सम्बन्धित विषय
का न्यनतम दो हजार पाँच सौ (2500) शब्दों में परियोजना कार्य प्रस्तुत करें ।
खण्ड
– 1 : हिंदी की संस्कृति : संस्थाएँ
श्रीवेंकटेश
प्रेस, बमबई, भारत
जीवन प्रेश काशी, नवलकिशोर प्रेश लखनऊ; इंडियन प्रेस, इलाहाबाद; नागरी
प्रचारिणी
सभा, वाराणसी एवं आरा; गंगा ग्रन्थागार, लखनऊ; हिंदी साहित्य सम्मेलन, इलाहावाद, पटना गया;
राष्ट्रभाषा
प्रचार समिति,
वर्ध, राजस्थान साहित्य अकादेमी, उदयपुर; असम राष्ट्रभाषा प्रचार समिति गुवाहाटी;
महाराष्ट्र
राष्ट्रभाषा सभा,
पुणे; दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभी, चेन्नई, भारतीय
भाषा परिषद्, कोलकालता, केन्द्रीय
हिंदी
संस्थान,
आगरा ; उत्तरपदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ बिहार हिंदी ग्रन्थ अकादमी, पटना; बिहार राष्ट्रभाषा परिषद्, पटना, भारतीय हिंदी परिषद्, लाहाबाद आदि तथा हिंदी की
प्रमुख नाट्य-संस्थाएँ
खण्ड
– 2 : हिंदी की संस्कृति: पत्रिकाएँ
हिंदी
प्रदीप,
आनन्द कादम्बिनी, ब्रह्मण, सरस्वती प्रताप, मर्यादा, सुधा,
माधुरी, मतवाला, विशाल
भारत, प्रभा, चाँद, हंस, नई कहानियाँ, कल्पना,
दिनमान आलोचना, पूर्वग्रह, प्रतीक, धर्मयुग, साप्ताहिक,
सारिका, हिन्दुस्तान, सारिका, नटरंग, पहल, वसुधा, रंग-पसंग, तद् भाव, दलित अस्मिता, मगहर,
लहर, वातायन, कहानी
साहित्यकार, नया साहित्य, कवि,
कृति, नई कविता, इन्दु,
नई धारा, ज्योत्स्ना, माध्यम, नया ज्ञानोदय, कथादेश,
वागर्थ, परीकथा ,पाखी वर्तमान साहित्य आदि
खण्ड
– 3 : हिंदी की संस्कृति : आन्दोलन
ब्रजभाषा
बनाम खड़ीबोली,
खड़ीबोली का आन्दोलन, हिन्दी-उर्दू- हिन्दुस्तानी
विवाद, प्रगतिशील आन्दोलन, परिमल,
भारतीय नाट्य आन्दोलन, दलित लेखन, लघुपत्रिका आन्दोलन, हिंदी की आभासी (वर्चुअल)
दुनिया आदि
खण्ड-
4 : हिंदी की संस्कृति और उसका प्रसार
1.
पुस्तकालय : नागरी प्रचारिणी सभा, काशी
का आर्यभाषा पुस्तकालय; काशीनरेश का पुस्तकालय,
रामनगर; दतिया,
टीकमगढ़, छतरपुर, रीवा
के महाराजाओं के पुस्तकालय; नेशलन आर्काइव्य पुस्तकालय,
पटियाला; गायकवाड ओरियंटल रिसर्च इंस्टिट्यूट,
बड़ोदरा; शिवसिंह सेंगर का पुस्तकालय;
गोविन्द चतुर्वेदी, जवाहरलाल चतुर्वेदी मथुरा
के पुस्तकालय; शूरवीर सिंह, अलीगढ़ का
पुस्तकालाय; भवानीसिंह याज्ञिक का पुस्तकालय; श्रीरामानन्द सरस्वती पुस्तकालय,जोकहरा, आजमगढ़ आदि
2. हिंदी क्षेत्र
के प्रमुख केन्द्र यथा –कलाकत्ता, पटना, बनारस,
इलाहबाद, दिल्ली, भोपाल
आदि की साहित्यिक-सांस्कृतिक गतिविधियाँ
3. साहित्य का
अन्य माध्यमों में रूपान्तरण : साहित्यि कृतियों पर बनने वाली फि़ल्में /
सिनेमा और टेलीविजन धारावाहिक, कहानियों
और कविताओं का मंचन
4. प्रकाशक : मोतीलाल
बनारसीदास,
पटना; रामनारायणलाल बेनीमाधव इलाहाबाद;
इंडियन प्रेस प्रा.लि. इलाहाबाद; पीपुल्स पब्लिशिंग हाउस, नयी दिल्ली ज्ञानमण्डल
प्रा. लि.; वाराणसी; साहित्य भवन
प्रा. लि., इलाहाबाद; सस्ता साहित्य
मण्डल,नयी दिल्ली; नवजीवन प्रकाशन मन्दिर,
अहमदाबाद; चौखम्भा विद्या भवन, वापराणसी हिन्दुस्तानी एकेडेमी, इलाहाबाद; किताब महल, इलाहाबाद; नेशनल
बुक ट्रस्ट, नयी दिल्ली, प्रकाशन
विभराग, नयी दिल्ली; भारतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली; साहित्य अकादेमी; लोकभारतीय प्रकाशन इलाहाबाद, विश्वविद्यालय प्रकाशन,
वाराणसी; हिन्द पॉकेट बुक्स, नयी दिल्ली; राधाकृष्ण प्रकाशन नई दिल्ली राजपाल एंड
संस, नयी दिल्ली; राजकमल प्रकाशन,
नई दिल्ली; वाणी प्रकाशन; नई दिल्ली आदि
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