विश्वविद्यालय अधिनियम द्वारा स्थापित विद्यापीठों में से प्रथम भाषा विद्यापीठ है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हिंदी भाषा के वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीय अध्ययन का विकास और प्रसार आवश्यक है। साथ ही भारतीय भाषायी परिप्रेक्ष्य में विशेषत: देश और दुनिया की भाषाओं के साथ तुलनात्मक अध्ययन और शोध पर विशेष ध्यान देने की भी जरूरत है। इसके लिए शोध, शिक्षण और प्रशिक्षण - तीनों स्तरों पर प्रभावी कार्यक्रम अपेक्षित हैं। यहाँ संचालित पाठ्यक्रम हिंदी भाषा के क्षितिज-विस्तार की दिशा में आरंभिक उद्यम हैं, जिन्हें सतत प्रवर्द्धनशील बनाए रखने की अनवरत चेष्टा रहेगी। कोशिश यह है कि इसके माध्यम से जीवन के विविध क्षेत्रों में हिंदी की प्रभावी और अपरिहार्य भूमिका बढ़े तथा इस पाठ्यक्रम के शिक्षार्थी जीवन के उन क्षेत्रों में रोजगार के अधिकाधिक अवसर अर्जित करें। इस तरह हिंदी भाषा और शिक्षार्थियों को एक समर्थ और सम्मानपूर्ण व्यक्तित्व उपलब्ध हो सके। साथ ही, अन्य भाषाओं के समतुल्य संवाद की हैसियत भी बन सके। भाषा विद्यापीठ के अंतर्गत भाषा प्रौद्योगिकी विभाग, कंप्यूटेशनल भाषाविज्ञान विभाग, प्रौद्योगिकी अध्ययन केंद्र, भारतीय एवं विदेशी भाषा प्रगत अध्ययन केंद्र, लीला तथा विदेशी शिक्षण प्रकोष्ठ, संचालित हैं। बारहवीं योजना में भाषाविज्ञान विभाग तथा विलुप्तप्राय भाषाओं के संवर्धन एवं संरक्षण के लिए केंद्र भी प्रस्तावित है।
इस विद्यापीठ के अंतर्गत संचालित विभाग-
1.1 भाषा विज्ञान एवं भाषा-प्रौद्योगिकी विभाग
1.2 सूचना एवं भाषा अभियांत्रिकी केंद्र
1.3 विदेशी भाषा एवं अंतरराष्ट्रीय अध्ययन केंद्र