बी. ए. (ऑनर्स) पत्रकारिता एवं जनसंचार (प्रथम सेमेस्टर)
संचार की अवधारणा एवं प्रक्रिया
(4 क्रेडिट)
इकाई-1 संचार की अवधारणा एवं प्रक्रिया
1.1 संचार का अर्थ एवं परिभाषा
1.2 संचार का महत्व एवं कार्य
1.3 संचार के तत्व
1.4 संचार के 7 सी
1.5 संचार के चरण एवं मार्ग
इकाई-2 संचार के प्रकार
2.1 अंतः व्यक्तिक संचार
2.2 अंतरव्यक्तिक संचार
2.3 समूह संचार
2.4 जनसंचार
इकाई-3 संचार के माध्यम
3.1 मुद्रित माध्यम
3.2 श्रव्य माध्यम
3.3 दृश्य-श्राव्य माध्यम
3.4 नवसंचार माध्यम
3.5 परम्परागत माध्यम
इकाई-4 संचार एवं जनसंचार के सिद्धांत एवं प्रतिरूप
1.1 अरस्तू का संचार प्रतिरूप
1.2 लासवेल का संचार प्रतिरूप
1.3 एमएमसीआर प्रतिरूप
1.4 एजेंडा सेटिंग सिद्धांत
1.5 उपयोगिता एवं परितुष्टि का सिद्धांत
1.6 कल्टिवेशन सिद्धांत
- टीचर: akhtar alam
संचार की अवधारणा (CONCEPT OF COMMUNICATION)
संसार का हर जीवित प्राणी जीवन के हर पल किसी न किसी प्रकार का संचार करता है। यदि इसे एक इंसान के दिनचर्या से जोड़कर देखते हैं तो सुबह उठते ही ईश्वर को याद करना, बच्चों को जगाना, दूध वाले, अखबार वाले एवं सब्जी वाले से मोलभाव, दफ्तर में बॉस एवं सह कर्मियों से काम की बाते, लंच के दौरान हंसी मजाक, दोस्तों से गपशप अर्थात जीवन का कोई ऐसा पल नहीं है। जब हम किसी न किसी रूप में संचार नहीं कर रहे होते हैं।
यहां तक कि सपनों में भी एक प्रकार का संचार होता है जो व्यक्ति के स्वयं तथा सीमित रहता है।
एक बच्चा पैदा होते ही रोने की आवाज से अपने अस्तित्व की पहचान करा देता है। वह बता देता है कि मैं दुनिया में आ गया हूँ। दूध मुहा बच्चा बोल नहीं पाता लेकिन रोकर अपनी मां तक संदेश पहुंचा देता है कि उसे भूख लगी है या उसे तकलीफ है।
बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होता है उसकी पसंद, नापसंद, उसका गुस्सा, चिल्लाना, भौं चढ़ाना।
यह सब उसके संचार के भावों को व्यक्त करता है। जैसे-जैसे वह बढ़ता है अपने आसपास के वातावरण, माता-पिता, भाई-बहन तथा परिजनों से भाषा सीखता है। साथ ही साथ उसके वाणी लैंग्वेज (आंगिक भाषा) के द्वारा भी संचार व्यक्त होने लगता है।
सिर्फ मनुष्य में ही संचार नहीं होता बल्कि पशु पक्षियों एवं वनस्पतियों में भी संचार होता है। चिड़ियों कीची-ची-ची, कुत्ते का भोकना, कौए का कांव-कांव, शेर का दहाड़ना, बकरी का मे-मे
ये सभी संचार है: बोलना भी संचार है, देखना भी संचार है, सूंघना भी संचार है, पलकें झपकाना भी संचार है, पढ़ना भी संचार है, सुनना भी संचार है, नृत्य और नाटक करना भी संचार है।
शादी में आमंत्रित करने के लिए हल्दी या सुपाड़ी का देना भी संचार है, मृत्यु के सूचना में चिट्ठी का कोना पकड़कर देना भी संचार है।
राजनीतिक पार्टियों के चुनाव चिन्ह एवं झंडे भी संचार करते हैं जैसे भाजपा-कमल का फूल, काँग्रेस का-हाथ, भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी का-हसिया हथौड़ा, राष्ट्रवादी काँग्रेस पार्टी का घड़ी, शिवसेना का तीर धनुष, बसपा का हाथी, सपा का सायकिल, ये सभी संचार कर रहे हैं। इसके अलावा किसी आयोजन में कबूतर को उड़ाना शांति का प्रतीक है। किसी को काला झण्डा दिखाना- विरोध का प्रतीक, ट्रेफिक सिग्नल में लाल, हरा एवं पीली बत्ती का जलना, ॐ और स्वस्तिक हिन्दू धर्म का प्रतीक, चाँद-सितारा इस्लाम धर्म का, खंडा सिख धर्म का, क्रॉस ईसाई धर्म का, ये सभी संचार का ही प्रतीक है।
मनुष्य के शरीर के प्रत्येक अंग संचार करते हैं इसे आप इस प्रकार समझ सकते हैं
शरीर के अंग |
शरीर संचार माध्यम |
संचार यंत्र |
संचार प्रक्रिया |
कार्य |
मुख |
मुख |
ध्वनि |
बोलकर |
संचार |
हाथ एवं बाह |
हाथ एवं बाह |
दृश्य |
हाव भाव |
संचार |
चेहरा |
चेहरा |
दृश्य |
भाव रंग |
संचार |
आंखें |
आंखें |
दृश्य |
देखकर |
संचार |
कान |
कान |
श्रव्य |
सुनकर |
संचार |
पैर |
पैर |
दृश्य |
हाव भाव |
संचार |
नाक |
नाक |
वायु |
सूँघकर |
संचार |
शरीर के अन्य अंग |
शरीर के अन्य अंग |
स्पर्श एवं दृश्य |
स्पर्श/भाव-भंगिमा |
संचार |
संचार शब्द संस्कृत की चर धातु से बना है जिसका अर्थ होता है चलना। जैसे: सड़क संचार, वायु संचार, जल संचार, रेल संचार, दूर संचार आदि। इस प्रकार किसी वस्तु के एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने और आने की प्रक्रिया को भी संचार कहा जाता है।
संसार एक प्रवाह है जैसे: रक्त संचार, संचार शब्द अंग्रेजी के कम्युनिकेशन शब्द की उत्पत्ति लैटिन शब्द से कोम्मुनिस COMMUNIS से हुई है। जिसका अर्थ है टू मेक कॉमन, टू शेयर, टू इंपोर्ट, टू ट्रांसमीट अर्थात समान भागीदारी युक्त सूचना और संप्रेषण।
इस तरह देखते हैं कि सुबह से लेकर रात तक और जन्म से लेकर मृत्यु तक जीवन के हर पल संचार चल रहा होता है। सूचनाओं के आदान प्रदान करने की प्रक्रिया संचार है। संचार संदेश नहीं है बल्कि प्रक्रिया है। एक व्यक्ति, दूसरे व्यक्ति से, एक समूह दूसरे समूह से, एक देश दूसरे देश से संचार के द्वारा ही आपस में मिलते हैं। संचार के बिना कोई भी व्यक्ति अपनी प्रगति नहीं कर सकता है। संचार के द्वारा व्यक्ति लोगों और समूहों के मध्य गलत-फहमियां अन-बन और वैमनस्य दूर हो जाता है। इसके द्वारा दूसरे को हम अपने विचार बता सकते हैं। उसके सामने अपना दृष्टिकोण रख सकते हैं। जिससे वह हमारे विचारों को अच्छी तरह से समझ सकते हैं। उपयुक्त विश्लेषण के पश्चात हम स्वतः इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि संचार मानव एवं समुदाय के लिए एक अनिवार्य आवश्यकता है। संचार मानव समाज का आधार होता है। इस तरह संचार मानव समुदाय के जीवन का वह पहिया है। जिसके द्वारा मानव के सामाजिक संबंधों का निर्माण एवं विकास होता है। संसार के बिना ना तो मानव समाज की स्थापना हो सकती है और ना ही मनुष्य के सामाजिक जीवन की कल्पना कर सकते हैं।
संचार के कार्य:
सूचना देना, शिक्षित करना, मनोरंजन करना और प्रोत्साहन करना, व्याख्याओं एवं चर्चाओं के अवसर उपलब्ध कराना, निरंतरता एवं गतिशीलता सांस्कृतिक उन्नयन, राष्ट्रीय एकता स्थापित करना।
- टीचर: akhtar alam