प्रिय विद्यार्थियों,
एमएसडब्ल्यू पाठ्यक्रम (प्रथम सत्र) के प्रश्नपत्र MSW 01समाज कार्य का उद्भव और विकास में आपका स्वागत है। इस प्रश्नपत्र को चार खंडों में विभाजित किया गया है।
पहले खंड में यह बताया गया है कि एक अकादमिक अनुशासन का उदय किस प्रकार होता है? अनुशासन और अंतरानुशासनिकता के बीच क्या संबंध हैं ? एकअनुशासन के रूप में समाज कार्य का उदय किस प्रकार हुआ ?
दूसरे खंड में समाज कार्य के ऐतिहासिक विकास को वैश्विक परिदृश्य के आधार पर बताया गया है। यूरोप,अमेरिका,एशिया,अफ्रीका व मध्य-पूर्व में समाज कार्य के विकास पर प्रकाश डाला गया है। इनका अध्ययन कर हम यह समाज कार्य के विकास की प्रमुख प्रवृत्तियों को जान सकते हैं।
तीसरे खंड में समाज कार्य के एक व्यवसाय एवं शैक्षिक कार्यक्रम के रूप में उदय व विकास को रेखांकित किया गया है। समाज कार्य एक व्यवसाय के रूप में कैसे विकसित हुआ? उसके मूल्य,सिद्धांत और नैतिकताएं क्या हैं? शैक्षिक कार्यक्रम के रूप में समाज कार्य की स्थिति एवं संभावनाओं पर भी प्रकाश डाला गया है। दूर शिक्षा के माध्यम से समाज कार्य शिक्षा को बताया गया है।
चौथे खंड में भारत में समाज कार्य के उद्भव और विकास को स्पष्ट किया गया है। भारत में समाज कार्य के ऐतिहासिक विकास का वर्णन किया गया है। विभिन्न धर्मों में समाज कार्य कैसे रहा है? राज्य और समाज कार्य के बीच क्या संबंध हैं? गांधी विचार में समाज कार्य की अवधारणा कैसी है? समाज कार्य की नवीन प्रवत्तियां कौन-सी है? इत्यादि बातो को विस्तार से बताया गया है।
- टीचर: shambhu joshi
प्रिय विद्यार्थियों,
एमएसडब्ल्यू पाठ्यक्रम (प्रथम सत्र) के प्रश्नपत्र MSW 02 सामाजिक विज्ञान अवधारणाएं में आपका स्वागत है। इस प्रश्नपत्र को चार खंडों में विभाजित किया गया है।
पहले खंड में समाज की मूलभूत मान्यताओं को समझाया गया है। भारत समाज की संरचना, वर्गीकरण और स्तरीकरण की व्याख्या की गई है। सामाजिक समूहों, संस्थाओं, सामाजिक नियंत्रण तथा समुदाय के विभिन्न रूपों (शहरी, ग्रामीण एवं आदिवासी) को स्पष्ट किया गया है। सामाजिक बदलाव के अर्थ, विशेषताओं और कारकों को रेखांकित किया गया है।
दूसरे खंड में भारत में विद्यमान विभिन्न सामाजिक समस्याओं और उनके प्रभावों को बताया गया है। आज़ादी से पूर्व और आज़ादी के बाद भारत में हुए सामाजिक आंदोलनों का परिचय दिया गया है। नवसामाजिक आंदोलनों और उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों का उल्लेख किया गया है।
तीसरे खंड में पारिवारिक संरचना पर प्रकाश डाला गया है। परिवार एवं विवाह की अवधारणा, परिवार और विवाह के बदले प्रतिमानों को विस्तार से बताया गया है। पारिवारिक व्यवस्था में उत्पन्न समकालीन समस्याओं की चर्चा की गई है। पितृसत्ता और जेंडर विमर्श का परिचय दिया गया है।
चौथे खंड में अकादमिक जगत में व्याप्त समकालीन संकल्पनाओं का उल्लेख किया गया है, जिनमें राष्ट्र-राज्य का उदय, राष्ट्रवाद, नवउपनिवेशवाद, लोकतंत्र विमर्श की चर्चा की गई है। मैक्स वेबर, दुर्खीम, टॉल्कट पार्सन, पियरे बोर्दियू, महात्मा गांधी, डॉ.अंबेडकर एवं डॉ.राममनोहर लोहिया के सामाजिक विचारों को रेखांकित किया गया है।
- टीचर: shambhu joshi
प्रिय विद्यार्थियों,
एमएसडब्ल्यू पाठ्यक्रम (प्रथम सत्र) के प्रश्नपत्र MSW 03 समाज कार्य के क्षेत्र में आपका स्वागत है। इस प्रश्नपत्र को चार खंडों में विभाजित किया गया है।
पहले खंड में महिला एवं बाल विकास पर प्रकाश डाला गया है। भारतीय परिदृश्य में स्त्रियां एवं उनकी समस्याएं,स्त्री आंदोलन एवं विभिन्न सशक्तिकरण नीतियों को विस्तार से बताया गया है। भारत में बाल विकास की अवधारणा को बताते हुए विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय नीतियों को रेखांकित किया गया है।
दूसरे खंड में समुदाय विकास की अवधारणा के अंतर्गत जनजातीय विकास,ग्रामीण विकास एवं शहरी विकास को समझाया गया है।
तीसरे खंड में वंचित वर्गों के विकास और विभिन्न कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला गया है कि किस प्रकार अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग,विशेष योग्य जन एवं तृतीय पंथ जन के विकास हेतु कार्रवाई की गई है ?
चौथे खंड में समाज कार्य के नए उभरते क्षेत्रों पर प्रकाश डाला गया है। इनमें अपराधशास्त्र एवं सुधारात्मक सेवाएं,चिकित्सीय एवं मनोचिकित्सीय सेवाएं, वृद्धावस्था सेवाएं,पर्यावरण विकास एवं आपदा प्रबंधन तथा युवा विकास शामिल है।
- टीचर: shambhu joshi
एमएसडब्ल्यू पाठ्यक्रम (प्रथम सत्र) के प्रश्नपत्र MSW 04 व्यक्तित्व एवं मानव व्यवहार की गतिकी में आपका स्वागत है। इस प्रश्नपत्र को चार खंडों में विभाजित किया गया है।
पहले खंड में व्यक्तित्व की अवधारणा को समझाया गया है। व्यक्तित्व के अर्थ, परिभाषा एवं निर्धारकों को स्पष्ट करते हुए इसके विकास की अवस्थाओं का वर्णन किया गया है। जीवन अवधि का उल्लेख करते हुए व्यक्तित्व और व्यवहार के आपसी संबंधों को बताया गया है।
दूसरे खंड में मानव व्यवहार की अवधारणा और उसके निर्धारकों का उल्लेख किया गया है। समायोजन एवं असामान्य व्यवहार की अवधारणा की विस्तृत चर्चा की गई है। नेतृत्व की आवश्यकता,प्रकार और प्रकार्यों पर प्रकाश डाला गया है।
तीसरे खंड में विभिन्न मनोसामाजिक प्रक्रियाओं को बताया गया है जो मानवीय व्यवहार के ज़रिए अभिव्यक्त होती हैं। इनमें अभिप्रेरणा, समाजीकरण, संवेदना-प्रत्यक्षीकरण एवं अभिवृत्ति शामिल है।
चौथे खंड में विभिन्न मनोविज्ञानियों के व्यक्तित्व संबंधी सिद्धांतों की विस्तार से चर्चा की गई है। इनमें फ्रायड, जुंग, एडलर, बंडुरा, मार्सिया, पियाजे और एरिक्सन द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों का उल्लेख किया गया है।
- टीचर: shambhu joshi
प्रिय विद्यार्थियों,
एमएसडब्ल्यू पाठ्यक्रम (प्रथम सत्र) के प्रश्नपत्र MSW 05 भारतीय सामाजिक समस्याएं में आपका स्वागत है। इस प्रश्नपत्र को चार खंडों में विभाजित किया गया है।
पहले खंड में सामाजिक समस्याओं की अवधारणा पर प्रकाश डाला गया है। सामाजिक समस्या किसे कहा जाता है, इसके कितने प्रकार और कारण हैं तथा इसके क्या प्रभाव होते हैं, इन सभी बातों की चर्चा इस खंड में की गई है।
दूसरे खंड में सामाजिक परिदृश्य से जुड़ी विभिन्न समस्याओं को रेखांकित किया गया है जो भारतीय समाज में व्याप्त हैं । इनमें निर्धनता और बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार,पितृसत्ता तथा सांप्रदायिकता एवं अस्मिता विमर्श पर प्रकाश डाला गया है।
तीसरे खंड में राजनीतिक परिदृश्य के अंतर्गत उन समस्याओं को रखा गया है, जो राजनीतिक स्तर पर भारतीय राज्य के सम्मुख उपस्थित हैं। इनमें क्षेत्रीयता,आंतंकवाद और नक्सलवाद को शामिल किया गया है।
चौथे खंड में समाज सुधार आंदोलनों का उल्लेख किया गया है। इसमें आज़ादी से पहले और बाद के आंदोलनों का वर्णन किया गया है। नव सामाजिक आंदोलनों की अवधारणा को बताते हुए विभिन्न नव सामाजिक आंदोलनों का उल्लेख किया गया है। साथ ही समसामयिक परिप्रेक्ष्य पर भी प्रकाश डाला गया है।
- टीचर: shambhu joshi