प्रिय विद्यार्थियों,
एमएसडब्ल्यू पाठ्यक्रम (चतुर्थ सत्र) के प्रश्नपत्र MSW 14 गांधीय समाज कार्य में आपका स्वागत है। इस प्रश्नपत्र को चार खंडों में विभाजित किया गया है।
पहले खंड में गांधी दर्शन के मूल आधारों को स्पष्ट किया गया है। सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह की अवधारणा को समझने का प्रयास किया गया है कि महात्मा गांधी ने इन्हें किस रूप में व्याख्यायित किया और किन संदर्भों और तर्कों के माध्यम से इन्हें प्रस्तुत किया।
दूसरे खंड में गांधीय समाज कार्य की अवधारणा को स्पष्ट किया गया है। इनमें अहिंसात्मक संघर्ष की उनकी अवधारणा को समझाने का प्रयास किया गया है। इसके साथ उनके रचनात्मक कार्यक्रम को बताया गया है जो अहिंसक समाज रचना कीप्रविधि और क्षेत्रों को रेखांकित करते हैं। एकादश व्रत और सर्वोदय को बताते हुए इनकी चर्चा की गई है।
तीसरा खंड भी गांधीय समाज कार्य को स्पष्ट करता है। गांधी विचार के माध्यम से समाज कार्य के कौन से क्षेत्र हो सकते हैं उनकी चर्चा की गई है। इसमें साम्प्रदायिक सद्भाव, ट्रस्टीशिप, स्वदेशी, अस्पृश्यता उन्मूलन जैसे कार्यों और क्षेत्रों का उल्लेख किया गया है।
चौथे खंड में गांधीजी के बाद हुए अहिंसक आंदोलनों का उल्लेख किया गया है। इसके अंतर्गत भूदान,ग्रामदान और सम्पूर्ण क्रांति का उल्लेख किया गया है। इसके पश्चात सामाजिक आंदोलनों की गांधीय प्रविधि, नव सामाजिक आंदोलनों का उल्लेख किया गया है। साथ ही वर्तमान समय में गांधीविचार की प्रासंगिकता की चर्चा की गई है।
प्रिय विद्यार्थियों,
एमएसडब्ल्यू पाठ्यक्रम (चतुर्थ सत्र) के प्रश्नपत्र MSW 15 परामर्श एवं सम्प्रेषण : समाज कार्य परिप्रेक्ष्य
में आपका स्वागत है। इस प्रश्नपत्र को चार खंडों में विभाजित किया गया है।
पहले खंड में यह बताया गया है परामर्श का अर्थ, अवधारणा और उद्देश्य क्या हैं? इसके पश्चात इसकी प्रक्रिया और अवस्थाओं का उल्लेख किया गया है। समाज कार्य में प्रयुक्त की जाने वाली परामर्श तकनीकों और उपकरणों को रेखांकित करते हुए समाज कार्य में परामर्श अभ्यास को बताया गया है।
दूसरा खंड विभिन्न सामाजिक परिेवेशों में परामर्श प्रक्रिया को रेखांकित करता है। इसमें व्यक्तिगत परामर्श, युगल एवं परिवार परामर्श का उल्लेख किया गया है। इसके पश्चात थेरेपी और परामर्श को समझाते हुए इनमें अंतरों को स्पष्ट किया गया है। परामर्शदाता के रूप में सामाजिक कार्यकर्ता की क्या भूमिका होनी चाहिए, इस पर भी प्रकाश डाला गया है।
तीसरे खंड में संचार की अवधारणा को स्पष्ट किया गया है। सर्वप्रथम संचार का अर्थ एवं अवधारणा को प्रस्तुत किया है तत्पश्चात संचार के चरणों और विभिन्न प्रारूपों का उल्लेख किया गया है। संचार सैद्धांतिकी के अंतर्गत विभिन्न पहलुओं को समझाया गया है और अंत में भारत में संचार परिदृश्य को बताया गया है।
चौथे खंड में संचार और समाज कार्य के अंतर्संबंधों को स्पष्ट किया गया है। वैयक्तिक समाज कार्य, समूह कार्य, सामुदायिक संगठन और सामाजिक क्रिया में संचार की क्या भूमिका होती है और किस तरह से संचार का उपयोग किया जाता है, इसका उल्लेख इस खंड में किया गया है।
प्रिय विद्यार्थियों,
एमएसडब्ल्यू पाठ्यक्रम (चतुर्थ सत्र) के प्रश्नपत्र MSW 16 संविधान और मानवाधिकार में आपका स्वागत है। इस प्रश्नपत्र को चार खंडों में विभाजित किया गया है।
पहले खंड में यह बताया गया है भारतीय संविधान के पहले कौनसे ऐसे महत्वपूर्ण कानून थे जिनसे भारतीय प्रशासन चलाया गया। तत्पश्चात भारतीय संविधान का परिचय दिया गया है। साथ ही भारतीय संविधान की विशेषताओं का भी उल्लेख किया गया है।
दूसरा खंड भारतीय संविधान की अन्तर्वस्तु को रेखांकित करता है। इसमें मूल अधिकार एवं कर्तव्यों, राज्य के नीति निर्देशक तत्वों और संविधान संशोधन प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है। साथ संविधान से जुड़ी समकालीन बहसों को रेखांकित किया गया है।
तीसरा खंड मानवाधिकार की अवधारणा को प्रस्तुत करता है। इसमें मानवाधिकार की अवधारणा को समझाते हुए इसके दर्शन और विकास के चरणों की चर्चा की गई है। तत्पश्चात इससे संबंधित महत्वपूर्ण सिद्धांतों का भी उल्लेख किया गया है।
चौथे खंड में मानवाधिकार के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य को प्रकट किया गया है। इसमें मानवाधिकार के सार्वभौम घोषणा पत्र, विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संविदाओं का उल्लेख करते हुए अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकार के क्षेत्र में कार्यरत संस्थाओं का उल्लेख किया गया है।