सामाजिक घटनाओं के वैज्ञानिक चिंतन का इतिहास अधिक प्राचीन नहीं है । आज से लगभग 170 वर्ष पहले तक सामाजिक ज्ञान अनेक प्रकार के धार्मिक विश्वास दार्शनिक चिंतन से इस तरह मिला- जुला था कि सामाजिक जीवन को उसके वैज्ञानिक रूप में समझ सकना बहुत कठिन था। उस समय तक अध्ययन की कोई वैज्ञानिक प्रणाली भी विकसित नहीं हो सकी थी जिसकी सहायता से सामाजिक संबंधों, सामाजिक ढांचे, सामाजिक  संस्थाओं तथा समाज में होने वाले परिवर्तन को उसके वास्तविक रूप में समझा जा सके। जिन विद्वानों ने राजनीतिक, इतिहास और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में अपने विचार प्रस्तुत किए हैं वे विचार धर्म और कल्पना से अधिक प्रभावित थे।