अपेक्षित अधिगम परिणाम

1.     भारतीय समाज की विशेषताओं को ध्यान में रखकर शिक्षा की विभिन्न भूमिकाओं की विवेचना में समर्थ होगें।

2.      शिक्षा की समकालीन प्रवृत्तियों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को जानने में समर्थ होगें।

3.      शिक्षा के लक्ष्यों को संविधान के मूल्यों के सापेक्ष व्याख्यायित कर पाएंगे।

4.      शिक्षण योजना के निर्माण में वंचित वर्ग की शिक्षा संबंधी चुनौतियों को संज्ञान में लेने में समर्थ होगें।

5.      शिक्षा नीति 2020 को ध्यान में रखते हुए शिक्षक की भूमिका पर विचार कर पाएंगे ।

 पाठ्यचर्या विवरण

 

इकाई 1: भारतीय समाज:

संरचना और विशेषताएँ, बहुलतावादी प्रवृत्ति; भारतीय अस्मिता, समकालीन चुनौतियाँ,  हाशियाकरण:  भाषा, धर्म, जाति, दिव्यांगता और क्षेत्र के संदर्भ में,नगरीकरण, औद्योगीकरणवैश्वीकरण, आर्थिक उदारीकरण आदि का प्रभाव

इकाई 2: हाशिये के समुदायों की शिक्षा:

दलित, लड़कियों, जनजातियों और धार्मिक अल्पसंख्यकों के विशेष संदर्भ में,दलित, आदिवासी और लड़कियों की शिक्षा के लिए पहल,विद्यालयी संस्कृति, प्रछन्न पाठ्यक्रम आदि की पड़ताल; गुणवत्ता का सवाल, बालश्रम, बालविवाह, नगरीय श्रमिकों की समस्याओं का अध्ययन

इकाई 3: भारतीय शिक्षा की आधारशिला:

प्राक् औपनिवेशिक शिक्षा,स्वतंत्रता पूर्व शिक्षा नीतियों का विहंगमावलोकन, शिक्षा के विमर्शों को ध्यान में रखते हुए स्वतंत्रोत्तर शिक्षा संबंधी नीतियों, रिपोर्टों, आयोगों का विश्लेषणात्मक अध्ययन: समान स्कूल व्यवस्था, त्रिभाषा सूत्र, कार्य और शिक्षा, नागरिकता के लिए शिक्षा, शिक्षा का बोझ आदि के विशेष संदर्भ में।

इकाई 4: संविधान और शिक्षा:

संवैधानिक मूल्य और शिक्षा, शिक्षा का अधिकार कानून, राज्य द्वारा प्रायोजित शिक्षा, शिक्षा से संबन्धित योजनाएँ: मिड डे मील, ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड,सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान और शिक्षा का अधिकार कानून: क्रियान्वयन और बाधायें, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020.


इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य विभिन्न विद्यालयी विषयों  की पाठ्यचर्या, शिक्षण और आकलन में भाषा की भूमिका से परिचित कराना है।


इस विषय-पत्र का उद्देश्य छात्राध्यापकों में विभिन्न सैद्धान्तिक विषय-पत्रों की गहन अनरदृष्टि  विकसित करने हेतु विभिन्न प्रायोगिक गतिविधियों को क्रियान्वित करना है। जिसमें उन्हें विशेष रूप से विभिन्न  प्रकार के मनोवैज्ञानिक परीक्षण, आईसीटी उपकरण, शिक्षा व्यवस्था और इसके बदलते स्वरूप की व्यावहारिक समझ विकसित करने तथा इसे क्रियान्वित करने हेतु विभिन्न कौशलों का विकास करने के लिए व्यापक अवसर प्रदान करता है।