भारतीय समाज में महिलाओं को हमेशा दुय्यम दर्जा का स्थान दिया था। महिलाओं को उनके अधिकार के प्रति जागरूक करने का काम महात्मा ज्योतिबा फुले एवं सावित्रीबाई फुले ने ही किया था। महिलाओं को शिक्षित करने की पहल फुले दंपत्ति ने की थी।विद्यार्थियों को ज्योतिबा फुले एवं सावित्रीबाई फुले के विचारों से अवगत कराना है। इस कोर्स में महात्मा ज्योतिबा फुले का जीवनदर्शन, महात्मा फुले का वैचारिक दृष्टिकोण, महात्मा फुले के रचनात्मक कार्य, सावित्रीबाई फुले का जीवनदर्शन एवं कार्य को प्रतिबिंबित किया है।भारत की पहिली शिक्षिका के रूप में सावित्रीबाई फुले को जाना जाता है वर्तमान कि प्रासंगिकता है कि समाज में महिलाओं के सामने सावित्रीबाई फुले को आदर्श के रूप में देखा जाता है।
- टीचर: Kiran Kumbhare
भारत में अनेक जनजातियाँ निवास करती है। जनजातियों का अध्ययन मुख्य रूप से मानवशास्त्र में किया जाता है। सामाजिक मानवशास्त्र इसकी एस एक शाखा है जो मानवशास्त्र को समाजशास्त्र से जोडती है। वस्तुस्थिति यह है कि जनजातियों का अध्ययन आज भी समाजशास्त्र और मानवशास्त्र में किया जाता है। समाजशास्त्र यह समाज का विज्ञान है इसमें समाजशास्त्र की पृष्टभूमि और जनजातीय समाज ,भारतीय जनजातियों का सामान्य परिचय, जनजातीय समाज की सामाजिक सरंचना एवं सामाजिक संस्थाएं ,सामाजिक परिवर्तन एवं समकालीन जनजातीय समाज इन सारी बिंदुओं की रेखांकित किया गया है।
- टीचर: Kiran Kumbhare
DTSC102: History of Tribal India जनजातीय भारत का इतिहास
इस कोर्स के माध्यम से हम जनजातीय भारत के इतिहास का अध्ययन करेगे। ये जनजातीय समुदाय जिन्हे हम आदिवासी, मूलनिवासी आदि के नामो से भी जानते है इन समुदाय के बारे मे हम प्राय: मानवशास्त्र, समाजशास्त्र विषयो के माध्यम से भी अध्ययन करते है जिनमे हम उनके सामाजिक, संस्कृति, आर्थिक, प्रजाति आदि से परिचित होते है लेकीन जनजातीय इतिहास के माध्यम से हम जनजातीय समुदाय के इतिहास को जान सकते है। जनगणना 2011 के अनुसार भारत मे जनजातीयो का प्रतिशत 8.6 है , और देश मे लगभग 461 जनजातीय समूह है। ये सभी समूह देश के अलग – अलग राज्यों मे निवास करती है और किसी क्षेत्र मे प्रवासन भी करती है । जनजातीय समाज का अस्तित्व, उद्भव, प्राचीन, मध्य , आधुनिक काल और समकालीन समय काल को हम जनजातीय इतिहास के माध्यम से समझने के लिए प्रेरित होंगे ।
- टीचर: Rakesh Singh phakaliyal
'दलित विचार के दार्शनिक आधार' इस कोर्स के अंतर्गत बुद्ध का धम्म के विचारों को साथ ही तिरुवल्लुवर ने तिरुक्कुरल का सृजन किया है एवं संत कबीर, गुरु नानक, संत रैदास, महात्मा फुले के सामाजिक दर्शन से विद्यार्थियों को अवगत कराना है। राजनीति दर्शन ने सम्पूर्ण विश्व को प्रभावित किया है अर्थात 18 शताब्दी से लेकर 20 वी शताब्दी का कालखंड बहुत ही महत्वपूर्ण रहा है जैसे ज्ञानोदय दर्शन का उदभव, उदारवाद की नींव कैसे पडी, आधुनिकता की शुरुवात कैसे हुई इन सभी विषयों की चर्चा इस कोर्स के अंतर्गत की गई है। आंबेडकर एवं दलित विचार के दार्शनिक आधार कौन सा है एवं दलित विचार निर्माण में समकालीन दार्शनिक का प्रभाव कैसे है इन सभी मुद्दों से संबंधित इससे विधार्थियों को परिचित कराना है।